बदलापुर में हुए यौन उत्पीड़न केस ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। इस केस में आरोपित अक्षय शिंदे के पिता ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। 23 वर्षीय अक्षय शिंदे पर दो नन्ही बच्चियों के यौन उत्पीड़न का आरोप था। जब पुलिस उसे पकड़ने गई तो उसने उन पर गोलियां बरसा दीं, और जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। हालांकि, अक्षय के पिता का आरोप है कि यह मुठभेड़ फर्जी थी और इस पूरे मामले की सही जांच की जाए।
बदलापुर के एक स्कूल में पढ़ने वाली दो किंडरगार्टन बच्चियों ने बताया था कि स्कूल के एक परिचारक ने उनके साथ गलत हरकतें की। इस घटना के बाद परिजनों ने स्कूल प्रशासन और पुलिस के सामने शिकायत की। जांच के बाद पुलिस ने अक्षय शिंदे को पकड़ने का प्रयास किया। पुलिस के मुताबिक, जब अक्षय को पकड़ने की कोशिश की गई तो उसने पुलिस टीम पर गोली चला दी। पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की और इस दौरान अक्षय मारा गया।
अब अक्षय शिंदे के पिता ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह मुठभेड़ फर्जी थी और पुलिस ने जानबूझकर उनके बेटे को मारा है। उनके अनुसार, अक्षय निर्दोष था और उसे फंसाया गया है। इसीलिए वे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने सारे घटनाक्रम को गलत ढंग से पेश किया है और इंसाफ होना चाहिए।
इस याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। कोर्ट यह देखेगा कि क्या पुलिस की ओर से किसी प्रकार की अनियमितता हुई है। अगर कोर्ट को लगता है कि मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है, तो SIT का गठन किया जा सकता है। साथ ही, पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।
इस मामले ने समाज को झकझोर दिया है क्योंकि इसमें मासूम बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला है। वहीं, दूसरी ओर पुलिस की कार्यवाही पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। इस प्रकार की घटनाएं समाज में न्याय और कानूनी प्रणाली की विश्वसनीयता पर असर डालती हैं।
इस घटना के बाद समाज में काफी आक्रोश देखा गया। लोग चाहते हैं कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले। वहीं, अक्षय के पिता के आरोप से पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है। लोगों की मांग है कि सच सामने आना चाहिए और दोषियों को इंसाफ मिलना चाहिए।
यौन उत्पीड़न के मामलों में निष्पक्ष और त्वरित न्याय मिलना अत्यंत आवश्यक है। यह न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाता है बल्कि समाज में एक मजबूत संदेश भी देता है कि किसी भी प्रकार का अपराध बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस और न्याय प्रणाली का कर्तव्य है कि वे निर्भीक और निष्पक्ष जांच करें, ताकि निर्दोष लोग नहीं फंसें और गुनहगार बच न पाएं।
बॉम्बे हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जल्द होगी। कोर्ट यह देखेगा कि क्या वाकई यह मुठभेड़ फर्जी थी और क्या अक्षय निर्दोष था। अदालत के फैसले के बाद ही इस मामले की सच्चाई सामने आएगी। तब तक समाज को धैर्य रखना होगा और विश्वास करना होगा कि न्याय प्रणाली सही निर्णय लेगी।
ऐसे मामलों में आम जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। समाज को चाहिए कि वे जागरूक रहें और ऐसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं। ताकी किसी भी प्रकार के अन्याय का सामना किसी को न करना पड़े।