जुलाई 2017 में केरल के पलक्कड़ जिले की नर्स निमिषा प्रिया ने यमन में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने का सपना देखा था। दुर्भाग्यवश, उनके जीवन का यह अध्याय संघर्ष और कानूनी जटिलताओं की एक कहानी बन गया। अब, भारत सरकार ने उनकी मौत की सजा को रोकने के लिए इंटरवेंशन शुरू कर दिया है। इस कार्रवाई की प्राथमिकता बढ़ती जा रही है, क्योंकि निमिषा की फांसी की सजा को यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-आलिमी ने मंजूरी दे दी है।
निमिषा प्रिया को यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, निमिषा ने कथित तौर पर महदी को अत्यधिक मात्रा में नशीली दवाएं देकर मार डाला, ताकि वह अपने पासपोर्ट को वापस प्राप्त कर सकें, जो महदी के कब्जे में था। यह घटना उन दोनों के बीच एक स्वास्थ्य क्लिनिक स्थापित करने और उसके बाद जुलाई 2017 में की गई उनकी शादी के बाद के समय की है। निमिषा का कहना है कि महदी के साथ उनके संबंधों में परेशानियां बढ़ रही थीं, जिसके कारण उन्होंने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी।
महदी की गिरफ्तारी हुई थी, मगर रिहा होने के बाद उन्होंने निमिषा को धमकाना जारी रखा। यमन की कानूनी प्रणाली में हत्या के अपराध के लिए मौत की सजा का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में निमिषा के परिवार ने 'दिया' या रक्तपात के बदले मुआवजे का भुगतान करके मौत की सजा में छूट पाने का प्रयास किया। लेकिन इस मामले में सभी प्रयत्न विफल रहे।
निमिषा की मां, प्रेमा कुमारी, ने अपनी संपत्ति बेचकर बेटी की रिहाई के लिए यमन की राजधानी सना का सफर किया है, जहां वह पीड़ित के परिवार से बातचीत कर रही हैं। सरकार ने इस मामले में स्थिति को जांचते हुए बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि वे निमिषा की मदद के लिए सभी संभव मदद प्रदान कर रहे हैं।
इस मामले ने विदेशी कानूनी प्रणालियों से जूझते भारतीय नागरिकों की चुनौतियों को उजागर किया है। भारतीय नागरिकों को इन स्थितियों में समर्थन देना भारत के लिए विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। निमिषा के मामले का समाधान क्या होगा, यह समय ही बताएगा, लेकिन इस बीच सरकार उनकी सजा के खिलाफ अंतिम क्षण तक प्रयासरत है।
निमिषा प्रिया का मामला एक उदाहरण है कि कैसे जटिल कानूनी प्रक्रिया और विदेशी धरती पर काम कर रहे भारतीयों के लिए समर्थन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय दबाव और बातचीत का प्रभुत्व आवश्यक हो सकता है। भारतीय सरकार के लिए यह एक चुनौती बनी हुई है कि वह अपने नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।