कर्नाटक को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन (KMF) ने 26 जून से नंदिनी दूध की कीमत में ₹2 प्रति लीटर की वृद्धि करने की घोषणा की है। यह वृद्धि कर्नाटक के विभिन्न जिलों में अधिक मात्रा में दूध के भंडारण के कारण की गई है। KMF ने यह भी बताया है कि प्रत्येक 500 ml और एक लीटर पैकेट में अतिरिक्त 50 ml दूध प्रदान करने के लिए यह मूल्य वृद्धि की गई है।
यह बढ़ोतरी पिछले वर्ष में दूसरी बार की गई है। जुलाई 2023 में भी दूध की कीमतों में ₹3 प्रति लीटर का बढ़ावा देखा गया था। KMF के अनुसार, नयी निर्धारित कीमतें अभी भी अन्य प्रमुख राज्यों की तुलना में कम हैं।
इस बढ़ोतरी के बाद, नंदिनी के विभिन्न दूध उत्पादों की नयी कीमतें इस प्रकार हैं: नीला पैकेट (Toned milk) की नयी कीमत ₹42-₹44 प्रति लीटर, नीला पैकेट (Homogenized toned milk) की नयी कीमत ₹43-₹45 प्रति लीटर, और नारंगी पैकेट (Homogenized cow's milk) की कीमत ₹46-₹48 प्रति लीटर होगी। अन्य विकल्पों में, नारंगी स्पेशल मिल्क ₹48-₹50 प्रति लीटर, शुभम मिल्क ₹48-₹50 प्रति लीटर, समृद्धि मिल्क ₹51-₹53 प्रति लीटर, शुभम (Homogenized toned milk) ₹49-₹51 प्रति लीटर, और शुभम गोल्ड मिल्क ₹49-₹51 प्रति लीटर होगा।
दूध की कीमतों में इस वृद्धि को लेकर कर्नाटक में राजनीतिक विवाद बढ़ता दिखाई दे रहा है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है। विपक्ष के नेता आर. अशोक और राज्य भाजपा प्रमुख बी. वाई. विजयेंद्र ने इस बढ़ोतरी को गरीब और मध्यवर्गीय लोगों के लिए एक बड़ी समस्या करार दिया है।
उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस प्रकार की कीमत वृद्धि से आम जनता पर भारी बोझ पड़ेगा और यह जनविरोध को बढ़ावा देने वाला हो सकता है। भाजपा नेताओं ने सरकार से अपील की है कि इस निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए।
दूध की कीमत में इस वृद्धि का एक अहम कारण कर्नाटक में दूध उत्पादन का मौजूदा परिदृश्य है। हर साल की तरह इस समय भी दूध उत्पादन का सीजन है, जिससे किसानों के लिए दूध का अधिभार हो गया है। अधिक मात्रा में दूध का उत्पादन होने से इसके भंडारण और परिवहन में कठिनाइयां आ रही हैं।
KMF का कहना है कि दूध की कीमत में वृद्धि से वे इन कठिनाइयों का समाधान करने में सक्षम होंगे और किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सकेगा। हालांकि, इस निर्णय का असर उपभोक्ताओं पर पड़ना निश्चित है, और इससे घरेलू बजट में भी परेशानी आ सकती है।
नंदिनी दूध की कीमत में इस वृद्धि से उपभोक्ता चिंतित हैं। गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए दूध की बढ़ी हुई कीमतें आर्थिक बोझ साबित हो सकती हैं। दैनिक जीवन में आवश्यक दूध की बढ़ी हुई कीमतें लोगों को अपने बजट में बदलाव करने पर मजबूर कर रही हैं।
कुछ उपभोक्ता इस वृद्धि को आवश्यक बताते हैं, लेकिन अधिकांश उपभोक्ता इसे अनावश्यक और आर्थिक तौर पर कठिन मानते हैं। उनके अनुसार, यह वृद्धि महंगाई को बढ़ावा देगी और उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
KMF ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह वृद्धि किसानों के हित में है और इससे उन्हें अपनी लागतों को कवर करने में मदद मिलेगी। लेकिन साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि इस निर्णय का व्यापक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी देखा जाए।
संघर्ष को कम करने के लिए, सरकार और KMF को मिलकर उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि दूध उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच एक संतुलन बनाया जा सके। इससे राज्य की कृषि और डेयरी उद्योग एक संतुलित और समृद्ध दिशा में आगे बढ़ सकेगी।
राज्य भर में आम जनता इस वृद्धि को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ दे रही है। कुछ लोगों का मानना है कि किसानों के हित में यह वृद्धि सही है, जबकि अन्य यह मानते हैं कि इससे उनके घरेलू बजट पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर लोगों के विचार बंटे हुए हैं।
सरकार और KMF को यह देखना होगा कि किस प्रकार इस वृद्धि के प्रभाव को संतुलित किया जाए ताकि किसी भी वर्ग को अत्यधिक नुकसान न हो।