जब Rameshwar Lal Dudi, रजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का निधन 3 अक्टूबर 2025 को बikenर के अपने घर में हुआ, तो यह खबर पूरे राज्य में जलती हुई लाठी की तरह पसर गई। दुदी जी 62 साल की उम्र में श्मशान को पहुँचे, जबकि वे लगभग 25 महीने पहले हुए गंभीर मस्तिष्क‑रक्तस्राव के बाद कोमा में थे। राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें एक दृढ़ किसान व जाट नेता के रूप में याद किया, जिसकी गुँजाइश परे‑परदे में भी गूँजती थी।
दुदी जी को 27 अगस्त 2023 को जयपुर के सरकारी Sawai Man Singh Hospital में मस्तिष्क‑रक्तस्राव हो गया था। प्रारम्भिक देखभाल के बाद उन्हें उन्नत सुविधा के लिए हवाई यात्रा द्वारा Medanta Hospital, गुरुग्राम ले जाया गया जहाँ वे दो साल तक कोमा में रहे। उस दौरान रजस्थान के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने व्यक्तिगत रूप से अस्पताल गमन किया, डॉक्टरों से मिलकर इलाज‑परामर्श लिया और कई निर्देश भी जारी किए।
दुदी जी ने 2004 के लोकोत्त्र चुनाव में बikenर से काँग्रेस के टिकट पर लड़ते हुए बॉलीवुड के सितारे धर्मेंद्र को कड़ी टक्कर दी थी। इस संघर्ष ने उन्हें "पैंट‑शर्ट, जाट‑प्रधान" का उपनाम दिलवाया, जो आज तक उनके व्यक्तिगत शैली और सीधी‑सादी बोली को दर्शाता है। 2013‑2018 के दौरान वे Rajasthan State Agro Industries Development Board के चेयरमैन रहे और साथ‑साथ विधानसभा में विपक्ष नेता के रूप में किसानों के हक़ के लिए आवाज़ उठाते रहे।
पहले दौर में दुदी जी को मस्तिष्क‑रक्तस्राव का निदान हुआ और वे तुरंत SMS Hospital के न्यूरोलॉजिस्ट Dr. Achal Sharma के हाथों में थे। लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि गंभीर रक्तस्राव के कारण स्थानीय सुविधा पर्याप्त नहीं है, इसलिए उन्हें एम्बुलेंस‑से‑हेलिकॉप्टर के माध्यम से गुरुग्राम भेजा गया। Medanta Hospital में उन्हें कई शल्य‑प्रक्रिया, हृदय‑रोग उपचार और रक्त‑शर्करा नियंत्रण के लिए इंटेंसिव‑केयर यूनिट में रखा गया। उच्च रक्तचाप, मधुमेह और पहले से मौजूद हृदय रोग ने उनका उपचार कठिन बना दिया, जिससे कोमा दो साल तक बना रहा।
दुदी जी ने 7 जुलाई 1983 को Sushila Dudi से शादी की। सुशीला दुदी आज बikenर के नोखा विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं और अपने पति की अनुपस्थिति में कई किसानों के मुद्दे संभाल रही हैं। दुदी जी के तीन बच्चे हैं; उनका बड़ा बेटा राजनीति में सक्रिय है, जबकि दो छोटे भाई‑बहन व्यवसायिक क्षेत्रों में संलग्न हैं। परिवार ने बताया कि अंतिम समय तक दुदी जी संगीत सुनते और छोटे‑छोटे चुटकुले सुनाते रहे, जिससे उनका कोमा‑स्थिति थोड़ी हल्की रही।
राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने घोषणा की कि दुदी जी की मृत्यु पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने कहा, "एक सच्चे किसान नेता और जाट समुदाय के अभिमान को खो दिया है।" समान रूप से, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Rahul Gandhi ने "दुदी भाईया की यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी" कहा।
मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने भी दु:ख व्यक्त किया और कहा, "उनके बिना रजस्थान की किसान आवाज़ अधूरी रहेगी।" वहीं, विपक्षी पार्टी RLP के नेता Hanuman Beniwal ने "ध्यान‑रहित राजनीति कभी नहीं भूल सकती कि दुदी भाईया ने किसान संघर्ष को कैसे उठाया" कहा।
दुदी जी के निधन से रजस्थान कांग्रेस में एक अनुभवी नेता का खाली पद रह गया है। उनकी सीट, बikenर के ग्रामीण क्षेत्रों में, अब बातों‑बातों में कई दलों के बीच लड़ाई का मैदान बन सकती है। विशेषकर किसान आंदोलन के बाद आने वाले चुनाव में यह सवाल उठ रहा है कि कौन उनके स्थान पर "किसान‑दुश्मन" का खिताब ले सकेगा। इसके अलावा, दुदी जी के निधन से राज्य में कृषि‑निधि के पुनःवितरण, जल‑संसाधन एवं सब्ज़ी व अनाज बाजार सुधार जैसे मुद्दों पर पुनर्विचार हो सकता है।
दुदी जी का अंतिम संस्कार 4 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1 बजे जट बागी, बikenर में आयोजित किया गया।
Rameshwar Dudi अंत्येष्टिBikaner
दुदी जी एक अनुभवी किसान नेता थे। उनके जाने से पार्टी में ग्रामीण और जाट वोट बैंक को संभालने वाली अनुभवी आवाज़ कम हो गई है, जिससे पार्टी को नई रणनीति बनानी पड़ेगी। आगामी विधानसभा चुनाव में विरोधी दल इस खाली जगह को झाँकने की कोशिश करेंगे।
उनकी पत्नी सुशीला दुदी पहले से ही नोखा विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं, इसलिए उन्हें कई बार दुदी जी के काम को आगे बढ़ाते देखा गया है। पार्टी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई नई भूमिका नहीं तय की, पर भविष्य में उन्हें समर्थन मिल सकता है।
पहले उन्हें जयपुर के सरकारी Sawai Man Singh Hospital में भर्ती किया गया, पर मस्तिष्क‑रक्तस्राव की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय सुविधाएँ पर्याप्त नहीं थीं। इसलिए उन्हें उन्नत न्यूरोसर्जिकल देखभाल के लिए गुड़गांव के Medanta Hospital में एयरलिफ्ट करके ले जाया गया।
कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में Mallikarjun Kharge, Rahul Gandhi और राजस्थान के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने अपने शोक संदेश जारी किए। विपक्षी दलों के नेता जैसे Hanuman Beniwal ने भी उनकी किसान‑पहल को सराहा।
दुदी जी का अंत्येष्टि 4 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1 बजे बikenर के जट बागी में आयोजित हुआ। इस समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेता, परिवार और कई किसान प्रतिनिधि शामिल हुए।
Monika Kühn
अक्तूबर 5, 2025 AT 05:34दुदी भाईया का निधन सुनकर ऐसा लगा जैसे किसी ने अपने मेहनती किसानों की ओट में गुप्त रूप से धुप डाल दी हो। 25 महीने का कोमा भी अब बेकाबू हो गया, जैसे कोई पुराने टेलीविजन का फ्रीज़ बटन काम करना बंद कर दे। उन्होंने जाट‑प्रधान शैली में राजनीति की, लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे जाट फॉर्मूला को अब रचनात्मक रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। यह राजनैतिक इशारा कि “किसान‑भीड़” अब भी अपनी आवाज़ बनाने के लिए तैयार है, कहानी का अंत नहीं बल्कि नया अध्याय है। शायद इस दर्द से कुछ सीख लेकर जाटों की नई पीढ़ी उभर के आएगी।