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अक्तूबर, 5 2025
रजस्थान कांग्रेस के दुदी भाईया का निधन, 25 महीनों के कोमा के बाद

जब Rameshwar Lal Dudi, रजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का निधन 3 अक्टूबर 2025 को बikenर के अपने घर में हुआ, तो यह खबर पूरे राज्य में जलती हुई लाठी की तरह पसर गई। दुदी जी 62 साल की उम्र में श्मशान को पहुँचे, जबकि वे लगभग 25 महीने पहले हुए गंभीर मस्तिष्क‑रक्तस्राव के बाद कोमा में थे। राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें एक दृढ़ किसान व जाट नेता के रूप में याद किया, जिसकी गुँजाइश परे‑परदे में भी गूँजती थी।

दुदी जी को 27 अगस्त 2023 को जयपुर के सरकारी Sawai Man Singh Hospital में मस्तिष्क‑रक्तस्राव हो गया था। प्रारम्भिक देखभाल के बाद उन्हें उन्नत सुविधा के लिए हवाई यात्रा द्वारा Medanta Hospital, गुरुग्राम ले जाया गया जहाँ वे दो साल तक कोमा में रहे। उस दौरान रजस्थान के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने व्यक्तिगत रूप से अस्पताल गमन किया, डॉक्टरों से मिलकर इलाज‑परामर्श लिया और कई निर्देश भी जारी किए।

रजस्थान के राजनीति में दुदी जी की भूमिका और पृष्ठभूमि

दुदी जी ने 2004 के लोकोत्‍त्र चुनाव में बikenर से काँग्रेस के टिकट पर लड़ते हुए बॉलीवुड के सितारे धर्मेंद्र को कड़ी टक्कर दी थी। इस संघर्ष ने उन्हें "पैंट‑शर्ट, जाट‑प्रधान" का उपनाम दिलवाया, जो आज तक उनके व्यक्तिगत शैली और सीधी‑सादी बोली को दर्शाता है। 2013‑2018 के दौरान वे Rajasthan State Agro Industries Development Board के चेयरमैन रहे और साथ‑साथ विधानसभा में विपक्ष नेता के रूप में किसानों के हक़ के लिए आवाज़ उठाते रहे।

चिकित्सा संघर्ष: अस्पताल‑आधारित यात्राएँ और उपचार

पहले दौर में दुदी जी को मस्तिष्क‑रक्तस्राव का निदान हुआ और वे तुरंत SMS Hospital के न्यूरोलॉजिस्ट Dr. Achal Sharma के हाथों में थे। लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि गंभीर रक्तस्राव के कारण स्थानीय सुविधा पर्याप्त नहीं है, इसलिए उन्हें एम्बुलेंस‑से‑हेलिकॉप्टर के माध्यम से गुरुग्राम भेजा गया। Medanta Hospital में उन्हें कई शल्य‑प्रक्रिया, हृदय‑रोग उपचार और रक्त‑शर्करा नियंत्रण के लिए इंटेंसिव‑केयर यूनिट में रखा गया। उच्च रक्तचाप, मधुमेह और पहले से मौजूद हृदय रोग ने उनका उपचार कठिन बना दिया, जिससे कोमा दो साल तक बना रहा।

परिवार और उत्तराधिकारी

दुदी जी ने 7 जुलाई 1983 को Sushila Dudi से शादी की। सुशीला दुदी आज बikenर के नोखा विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं और अपने पति की अनुपस्थिति में कई किसानों के मुद्दे संभाल रही हैं। दुदी जी के तीन बच्चे हैं; उनका बड़ा बेटा राजनीति में सक्रिय है, जबकि दो छोटे भाई‑बहन व्यवसायिक क्षेत्रों में संलग्न हैं। परिवार ने बताया कि अंतिम समय तक दुदी जी संगीत सुनते और छोटे‑छोटे चुटकुले सुनाते रहे, जिससे उनका कोमा‑स्थिति थोड़ी हल्की रही।

पार्टी और विपक्षियों की शोक संदेश

पार्टी और विपक्षियों की शोक संदेश

राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge ने घोषणा की कि दुदी जी की मृत्यु पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है। उन्होंने कहा, "एक सच्चे किसान नेता और जाट समुदाय के अभिमान को खो दिया है।" समान रूप से, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Rahul Gandhi ने "दुदी भाईया की यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी" कहा।
मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने भी दु:ख व्यक्त किया और कहा, "उनके बिना रजस्थान की किसान आवाज़ अधूरी रहेगी।" वहीं, विपक्षी पार्टी RLP के नेता Hanuman Beniwal ने "ध्यान‑रहित राजनीति कभी नहीं भूल सकती कि दुदी भाईया ने किसान संघर्ष को कैसे उठाया" कहा।

राजनीतिक परिदृश्य पर संभावित प्रभाव

दुदी जी के निधन से रजस्थान कांग्रेस में एक अनुभवी नेता का खाली पद रह गया है। उनकी सीट, बikenर के ग्रामीण क्षेत्रों में, अब बातों‑बातों में कई दलों के बीच लड़ाई का मैदान बन सकती है। विशेषकर किसान आंदोलन के बाद आने वाले चुनाव में यह सवाल उठ रहा है कि कौन उनके स्थान पर "किसान‑दुश्मन" का खिताब ले सकेगा। इसके अलावा, दुदी जी के निधन से राज्य में कृषि‑निधि के पुनःवितरण, जल‑संसाधन एवं सब्ज़ी व अनाज बाजार सुधार जैसे मुद्दों पर पुनर्विचार हो सकता है।

आगामी कदम और स्मारक समारोह

दुदी जी का अंतिम संस्कार 4 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1 बजे जट बागी, बikenर में आयोजित किया गया।

Rameshwar Dudi अंत्येष्टिBikaner

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

दुदी जी की मृत्यु का रजस्थान कांग्रेस पर क्या असर पड़ेगा?

दुदी जी एक अनुभवी किसान नेता थे। उनके जाने से पार्टी में ग्रामीण और जाट वोट बैंक को संभालने वाली अनुभवी आवाज़ कम हो गई है, जिससे पार्टी को नई रणनीति बनानी पड़ेगी। आगामी विधानसभा चुनाव में विरोधी दल इस खाली जगह को झाँकने की कोशिश करेंगे।

क्या दुदी जी के बाद उनके परिवार को कोई विशेष राजनीतिक स्थान मिलेगा?

उनकी पत्नी सुशीला दुदी पहले से ही नोखा विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं, इसलिए उन्हें कई बार दुदी जी के काम को आगे बढ़ाते देखा गया है। पार्टी ने अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई नई भूमिका नहीं तय की, पर भविष्य में उन्हें समर्थन मिल सकता है।

दुदी जी को किस अस्पताल में उपचार मिला और क्यों एयरलिफ्ट कराना पड़ा?

पहले उन्हें जयपुर के सरकारी Sawai Man Singh Hospital में भर्ती किया गया, पर मस्तिष्क‑रक्तस्राव की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय सुविधाएँ पर्याप्त नहीं थीं। इसलिए उन्हें उन्नत न्यूरोसर्जिकल देखभाल के लिए गुड़गांव के Medanta Hospital में एयरलिफ्ट करके ले जाया गया।

दुदी जी की मृत्यु के बाद कौन‑से प्रमुख नेता ने शोक व्यक्त किया?

कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में Mallikarjun Kharge, Rahul Gandhi और राजस्थान के मुख्यमंत्री Ashok Gehlot ने अपने शोक संदेश जारी किए। विपक्षी दलों के नेता जैसे Hanuman Beniwal ने भी उनकी किसान‑पहल को सराहा।

दुदी जी की अंतिम संस्कार कब और कहाँ हुआ?

दुदी जी का अंत्येष्टि 4 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1 बजे बikenर के जट बागी में आयोजित हुआ। इस समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेता, परिवार और कई किसान प्रतिनिधि शामिल हुए।

टैग: Rameshwar Lal Dudi Rajasthan Congress Bikaner Ashok Gehlot Medanta Hospital

10 टिप्पणि

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    Monika Kühn

    अक्तूबर 5, 2025 AT 04:34

    दुदी भाईया का निधन सुनकर ऐसा लगा जैसे किसी ने अपने मेहनती किसानों की ओट में गुप्त रूप से धुप डाल दी हो। 25 महीने का कोमा भी अब बेकाबू हो गया, जैसे कोई पुराने टेलीविजन का फ्रीज़ बटन काम करना बंद कर दे। उन्‍होंने जाट‑प्रधान शैली में राजनीति की, लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे जाट फॉर्मूला को अब रचनात्मक रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। यह राजनैतिक इशारा कि “किसान‑भीड़” अब भी अपनी आवाज़ बनाने के लिए तैयार है, कहानी का अंत नहीं बल्कि नया अध्याय है। शायद इस दर्द से कुछ सीख लेकर जाटों की नई पीढ़ी उभर के आएगी।

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    Nancy Ortiz

    अक्तूबर 10, 2025 AT 02:10

    सत्ता संरचना में दुदी जी का वैहिक योगदान एक प्रकार का प्रशासनिक बिंदु था, जो कृषि‑वित्तीय पुनर्वितरण को सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य करता था। उनके कोमा‑काल में, राजनीतिक संकट प्रबंधन में कई अद्यतन परिदृश्य उत्पन्न हुए, परन्तु यह स्पष्ट है कि जमीनी स्तर पर उनकी उपस्थिति का अभाव अस्थायी रूप से फोकस को विकृत कर सकता है। वाक्यांशों की जटिलता को देखते हुए, यह उल्लेखनीय है कि इस क्षय के बाद भी जाट समुदाय की चुनावी गतिकी में निरंतरता बनी रहेगी।

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    Ashish Saroj( A.S )

    अक्तूबर 14, 2025 AT 23:46

    बिलकुल, दुदी जी के निधन के बाद, क्या नयी राजनीतिक समीकरणें बनेंगी?; निश्चित रूप से, यह एक बड़ा प्रश्न है-जैसे ही सवाल उठता है, जवाब भी कई मोड़ ले सकता है; लेकिन एक बात तो तय है, कोमा के दो साल ने राजनीति को एक नई दिशा दी होगी, यह ओरिजिनल नहीं है; क्या यह दिशा सही होगी? यह तो समय ही बताएगा।

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    Ayan Kumar

    अक्तूबर 19, 2025 AT 21:22

    सही कहा, दुदी भाईया का स्टाइल अब भी लोगों के दिल में बसी हुई है, लेकिन राजनीति में उनका खाली स्थान सिर्फ एक सीट नहीं, बल्कि एक आवाज़ है। इस आवाज़ को भरने के लिए कौन तैयार है, यह देखना रोमांचक होगा।

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    chaitra makam

    अक्तूबर 24, 2025 AT 18:58

    दुदी जी का रक्तस्राव अगस्त 2023 में हुआ था, और कोमा लगभग दो साल तक चला, जिससे उनका राजनीतिक प्रभाव धीरे‑धीरे कम हो गया। उनके निधन के बाद परिवार का समर्थन जारी रहेगा, विशेषकर उनकी पत्नी सुशीला दुदी, जो पहले से ही विधायक हैं। यह देखना महत्वपूर्ण है कि अगली चुनाव में उनके चयनित क्षेत्रों में कौन सी नई नीतियां सामने आएँगी।

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    Amit Agnihotri

    अक्तूबर 29, 2025 AT 15:34

    दुदी जी की मौत का राजनैतिक असर अभी स्पष्ट नहीं है।

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    Surya Prakash

    नवंबर 3, 2025 AT 13:10

    कोमा में दो साल बिताना कोई फिल्म की कहानी नहीं है।

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    Sandeep KNS

    नवंबर 8, 2025 AT 10:46

    रजस्थानी राजनीति में दुदी भाईया का योगदान एक विशिष्ट शैक्षणिक केस स्टडी के रूप में दर्ज किया जा सकता है। प्रथम, उनका जाट‑प्रधान प्रतिमान ग्रामीण वोट बैंक को प्रभावी रूप से संगठित करता था। द्वितीय, कृषि‑निधि वितरण में उनके द्वारा उठाए गए कदम स्पष्ट रूप से नीतिगत परिवर्तन लाए। तृतीय, उन्होंने कई बार विपक्षी आवाज़ को सुना, जिससे लोकतांत्रिक बहस में जीवंतता आई। चतुर्थ, उनके कोमा अवधि के दौरान, कई प्रतिद्वंद्वी ने रणनीतिक लाभ उठाने का प्रयास किया, परन्तु उनका प्रभाव अभी तक समाप्त नहीं हुआ। पंचम, उनके निधन के बाद राज्य में नया वैकल्पिक नेतृत्व उभर रहा है, जिस पर कई राजनीतिक दल अपनी‑अपनी रणनीति बना रहे हैं। षष्ठ, इस संक्रमणकाल में वोटर बेस का पुनर्स्थापन एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। सातवां, जल संसाधन और सब्ज़ी बाजार सुधार पर उनका दृष्टिकोण अभी भी अनुसंधान का विषय है। अष्टम, सामाजिक मीडिया पर उनके स्मरण में विभिन्न पक्षों की ध्वनि सुनाई देती है, जो पहचान की विविधता दर्शाती है। नवम, इस पूरी घटना को एक व्यापक सामाजिक‑आर्थिक परिप्रेक्ष्य से देखना आवश्यक है। दशम, भविष्य में जाट समुदाय की राजनैतिक अभिव्यक्ति को नई दिशा मिलने की संभावना है। एकादश, इस दौरान कांग्रेस पार्टी को अपनी रणनीति पुनः मूल्यांकन करनी होगी। द्वादश, विपक्षी दलों को यह अवसर मिलेगा अपनी‑अपनी आवश्यकताओं को उजागर करने का। त्रयोदश, अंततः, इस सबका मूल सार यह है कि राजनीति में एक व्यक्ति का प्रभाव समय के साथ बदलता रहता है।

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    Mayur Sutar

    नवंबर 13, 2025 AT 08:22

    दुदी जी की यादें हमें यह सिखाती हैं कि कठिन समय में भी आशा की किरन को जगा कर रखना चाहिए, और नवयुवकों को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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    Nitin Jadvav

    नवंबर 18, 2025 AT 05:58

    चलो, इस दुखद समाचार के बाद भी सकारात्मक दिशा ढूँढते हैं-दुदी भाईया की मेहनत और संघर्ष नई पीढ़ी को प्रेरित कर सकता है, और राजनीति में नई ऊर्जा लाने का एक मौका भी बन सकता है।

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