जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में आतंकवादियों के साथ हुई ताज़ा मुठभेड़ में भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए। इनमें एक मेजर रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। यह मुठभेड़ रविवार शाम को शुरू हुई और अभी भी जारी है। सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।
आतंकियों के खिलाफ चली इस कार्यवाई के दौरान सेना के कम से कम पांच जवान गोली लगने से घायल हो गए। आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनका पीछा किया, जिसके परिणामस्वरूप एक और गोलीबारी शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों में कैप्टन ब्रजेश थापा, नायेक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने शहीद जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और लोगों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी शहीदों के के प्रति शोक व्यक्त किया और कहा कि इस हानि को कभी नहीं भरा जा सकता। बता दें कि यह मुठभेड़ जिले में एक सप्ताह के भीतर दूसरी और 11 जून से अब तक पांचवी घटना है।
डोडा और उसके आस-पास के क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों में अचानक वृद्धि होना चिंता का विषय बन चुका है। लगातार होती इन घटनाओं के कारण पुलिस और सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर खोज और तलाशी अभियान शुरू किए हैं। जम्मू डिविजन के विभिन्न हिस्सों में इन अभियानों को अंजाम दिया जा रहा है।
सुरक्षा बलों के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि वे किस प्रकार से इन आतंकी गतिविधियों को रोके। जम्मू-कश्मीर में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, सुरक्षा बलों की तैनाती और उनकी कार्यविधि में भी बदलाव दिखाई दे रहा है। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए व्यापक योजनाएँ बनाई जा रही हैं। हाल के दिनों में किए गए ऑपरेशनों से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा बल अपनी तत्परता में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
इस संकट के समय में आम जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाना और हर संभव सहयोग देना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता और सतर्कता जनता के बीच बढ़ाना भी जरूरी है।
आने वाले समय में सुरक्षा बलों का ध्यान पूरी तरह से उन क्षेत्रों पर होगा, जहां आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ी हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसे किसी भी प्रयास को समय रहते नाकाम किया जा सके, सुरक्षा बलों के पास उच्च स्तरीय योजना और संसाधन होने चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन और समुदायों का मजबूत समर्थन भी अतिआवश्यक है।
इस मुठभेड़ ने एक बार फिर से इस मुद्दे को सामने लाया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और अधिक तीव्र और व्यापक बनाने की आवश्यकता है। शहीद हुए जवानों का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि हमें हर पल सतर्क रहना होगा और एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ना होगा।
जैसे-जैसे मुठभेड़ समाप्ति की ओर बढ़ती है, सुरक्षा बल अपनी सतर्कता बनाए हुए हैं और अंततः आतंकियों को नेस्तनाबूद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।