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नवंबर, 20 2025
राजस्थान के 66 लाख किसानों को पीएम किसान निधि की 21वीं किस्त, 1332 करोड़ रुपये की धनवर्षा

आज राजस्थान के 66 लाख 62 हजार किसानों के लिए एक ऐसा दिन था जिसे वे लंबे समय तक याद रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम-किसान उत्सव दिवस के अवसर पर पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 21वीं किस्त को कोयम्बटूर, तमिलनाडु से ट्रांसफर किया। राजस्थान के किसानों के बैंक खातों में 1,332 करोड़ रुपये की राशि पहुंची — एक ऐसी धनवर्षा जो बारिश की बजाय बैंक नोटिफिकेशन से आई। देशभर में 9 करोड़ किसानों को इस किस्त में 18,000 करोड़ रुपये मिले, लेकिन राजस्थान ने अपने आंकड़ों से अपनी भूमिका को मजबूत किया।

25 हजार करोड़ रुपये का इतिहास: किसानों को मिला बंपर लाभ

यह सिर्फ एक किस्त नहीं, बल्कि एक यात्रा का नया पड़ाव है। जब 2019 में पीएम किसान योजना शुरू हुई, तो किसानों को सिर्फ 6,000 रुपये सालाना मिलने का वादा था। अब तक 20 किस्तों में राजस्थान के किसानों को 25,142 करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं। यह रकम किसी भी राज्य में किसी भी योजना के तहत दी गई सबसे बड़ी राशि में से एक है। यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा, "हम देश में पांचवें स्थान पर हैं — लेकिन यह स्थान हमने अपनी मेहनत से बनाया है।"

राज्य की अतिरिक्त धारा: 3,000 रुपये का अतिरिक्त सम्मान

केंद्र सिर्फ 6,000 रुपये देता है, लेकिन राजस्थान ने इसे नहीं रोकने का फैसला किया। भजनलाल शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत हर किसान को अतिरिक्त 3,000 रुपये सालाना दिए हैं। इससे किसानों को अब 9,000 रुपये वार्षिक सम्मान मिल रहा है। और यह अभी अंत नहीं — राज्य सरकार इसे 12,000 रुपये तक बढ़ाने की तैयारी कर रही है। यह एक ऐसा कदम है जो दूसरे राज्यों को भी प्रेरित कर सकता है।

बजट 2025: किसानों के लिए बड़े निर्णय

राजस्थान का बजट 2025 किसानों के लिए एक जीत का दस्तावेज है। वित्त मंत्री ने कई ऐसी घोषणाएं कीं जिन्होंने किसानों के लिए नए रास्ते खोल दिए। प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के तहत 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। 75,000 किसानों को तारबंदी के लिए 325 करोड़ रुपये, और 2,000 किसानों को पॉलीहाउस और मल्चिंग के लिए 225 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। यह सिर्फ धन नहीं, बल्कि भविष्य की नींव है।

आपदा राहत: 43 लाख किसानों को 2,600 करोड़ रुपये

आपदा राहत: 43 लाख किसानों को 2,600 करोड़ रुपये

पिछले साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने राज्य के 24 जिलों के 14,687 गांवों को तबाह कर दिया। आपदा राहत मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल ने बताया कि 43 लाख 39 हजार किसानों को एसडीआरएफ नियमों के तहत 2,600 करोड़ रुपये की राहत राशि दी जाएगी। यह राशि उनके लिए सिर्फ बचाव नहीं, बल्कि नए बीज खरीदने का अवसर है। यह वही जगह है जहां सरकार ने वादा किया था — "किसान कभी अकेला नहीं रहेगा।"

केंद्र का भी साथ: खरीफ 2025-26 के लिए 9,436 करोड़ रुपये की खरीद

राजस्थान के किसानों के लिए यह बात खास है कि केंद्र सरकार ने खरीफ 2025-26 के लिए राज्य में मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की रिकॉर्ड 9,436 करोड़ रुपये की खरीद की मंजूरी दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे "किसान हितैषी नीति" का प्रतीक बताया। यह खरीद बाजार में कीमतों को स्थिर रखेगी — और यह बहुत जरूरी है, क्योंकि पिछले वर्ष अनाज की कीमतें उतार-चढ़ाव के कारण किसानों को बहुत नुकसान पहुंचा था।

अगली किस्त कब? और फिर क्या?

अगली किस्त कब? और फिर क्या?

अगली किस्त दिसंबर 2025 में आने की पूरी संभावना है। यह टाइमिंग अहम है — जब खरीफ की फसल बाजार में आएगी, तब तक धन का आवागमन हो जाएगा। राज्य सरकार अभी 12,000 रुपये वार्षिक सम्मान निधि की तैयारी कर रही है। यह निर्णय केवल राजस्थान के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल हो सकता है। और यही बात है जो इस योजना को वास्तविक बनाती है — यह नियमित, भरोसेमंद और बढ़ती हुई है।

किसानों के लिए अन्य बड़े कदम

1 लाख भूमिहीन कृषि श्रमिकों को 5,000 रुपये के कृषि उपकरण निशुल्क दिए जाएंगे। मिड-डे मील और आंगनबाड़ी योजनाओं में श्री अन्न बाजरा शामिल किया जाएगा — जिससे न केवल किसानों को बाजार मिलेगा, बल्कि पोषण भी बढ़ेगा। 1,000 हेक्टेयर में नेना यूरिया के छिड़काव के लिए अनुदान दिया गया है। और 5,735 पैक्स गो-लाइव हो चुके हैं — यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक नया ब्रेकथ्रू है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पीएम किसान निधि की 21वीं किस्त किस तारीख को आई?

21वीं किस्त 2025 के अंत तक ट्रांसफर की गई है, जिसका आधिकारिक घोषणा दिन 2025 के अंत में राष्ट्रीय स्तर पर हुआ। राजस्थान में राशि दिसंबर 2025 के अंत तक किसानों के खातों में पहुंच चुकी है। अगली किस्त दिसंबर 2025 में आने की संभावना है, जो खरीफ की फसल बाजार में आने से पहले किसानों के लिए आर्थिक सहारा बनेगी।

राजस्थान के किसानों को केंद्र और राज्य सरकार से कुल कितना सम्मान निधि मिल रहा है?

केंद्र सरकार 6,000 रुपये प्रति वर्ष देती है, जबकि राजस्थान सरकार 3,000 रुपये अतिरिक्त देती है। इससे किसानों को कुल 9,000 रुपये मिल रहे हैं। अगले वित्तीय वर्ष तक इसे 12,000 रुपये तक बढ़ाने की योजना है, जो देश में किसी भी राज्य की सबसे बड़ी वार्षिक सम्मान राशि होगी।

राजस्थान में आपदा राहत राशि किस आधार पर दी गई?

आपदा राहत राशि 43 लाख 39 हजार किसानों को बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान के आधार पर दी गई। राज्य के 24 जिलों के 14,687 गांव प्रभावित थे। यह राहत राज्य आपदा राहत निधि (SDRF) के नियमों के तहत वितरित की जा रही है, जिसमें फसल नुकसान, भूमि क्षति और उपकरण नुकसान शामिल हैं।

केंद्र सरकार ने राजस्थान में किस फसल की खरीद के लिए सबसे अधिक राशि मंजूर की?

खरीफ 2025-26 के लिए केंद्र ने मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की रिकॉर्ड 9,436 करोड़ रुपये की खरीद की मंजूरी दी है। यह राशि देश के किसी भी राज्य में इन फसलों के लिए सबसे बड़ी है। इसका उद्देश्य किसानों को बाजार कीमतों के झूले से बचाना है और उन्हें निश्चित आय प्रदान करना है।

राजस्थान के किसानों को कितने ब्याजमुक्त ऋण दिए गए हैं?

अब तक राजस्थान सरकार ने 77 लाख से अधिक किसानों को 43,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याजमुक्त फसली ऋण दिया है। यह ऋण फसल बोने के लिए दिया जाता है और इसकी शर्त यह है कि ऋण लेने वाला किसान अपनी फसल को निर्धारित समय पर बेचे। इससे किसानों के ऋण बोझ में काफी कमी आई है।

क्या राजस्थान में किसानों के लिए कोई नया डिजिटल प्लेटफॉर्म शुरू हुआ है?

हां, राज्य सरकार ने 5,735 "पैक्स गो-लाइव" किए हैं — ये डिजिटल किसान सेवा केंद्र हैं जहां किसान अपनी फसलों की कीमत, बीज, उर्वरक और बीमा की जानकारी एक ही जगह प्राप्त कर सकते हैं। इन केंद्रों के माध्यम से 2025 तक 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचने का लक्ष्य है।

टैग: पीएम किसान सम्मान निधि भजनलाल शर्मा राजस्थान किसान सम्मान निधि कृषि राहत योजना

14 टिप्पणि

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    Shikhar Narwal

    नवंबर 22, 2025 AT 04:37

    ये धनवर्षा बस बैंक नोटिफिकेशन से आई है लेकिन दिल में बारिश का अहसास हुआ 🌧️💸
    राजस्थान के किसान अब सिर्फ खेतों के नहीं, बल्कि देश के आर्थिक दिल बन गए हैं।
    9000 रुपये सालाना? अब तो बस एक बार फिर देखना है कि ये रकम कितनी दूर तक जाती है।
    पैक्स गो-लाइव जैसे प्लेटफॉर्म तो गांवों के लिए डिजिटल आशीर्वाद हैं।
    मैंने अपने चाचा को देखा - उन्होंने एक बार फसल की कीमत ऑनलाइन चेक की और रो पड़े।
    इससे पहले वो बाजार में भेजने के लिए ट्रक भी नहीं भर पाते थे।
    अब वो अपनी फसल के लिए बोल रहे हैं।
    ये सिर्फ पैसा नहीं, ये डिग्निटी है।
    केंद्र और राज्य का ये साथ देखकर लगता है कि अंतिम बार तो लगा था कि किसान भूल गए जाएंगे।
    लेकिन आज वो देश के सामने खड़े हैं - और बाजार भी उनके सामने झुक रहा है।
    कोई नहीं जानता था कि बाजरा भी एक देश की शक्ति बन सकता है।
    अब तो ये देखना है कि बच्चे भी किसान बनेंगे या फिर शहर भाग जाएंगे।
    लेकिन आज का दिन उन्हें एक नया सपना दे गया।
    धन्यवाद, राजस्थान। 🙏

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    Ravish Sharma

    नवंबर 23, 2025 AT 12:05

    अरे भाई, ये सब क्या बकवास है? सरकार ने तो बस बैंक अकाउंट में पैसा डाल दिया - बाकी तो वही चीजें हैं जो पिछले 20 साल से चल रही हैं।
    9000 रुपये? एक शहरी नौकर का एक महीने का बिल है।
    और ये लोग फिर से अपने आप को नायक बना रहे हैं?
    किसानों को जमीन दो, बाजार दो, बिजली दो - तब तक ये सब बकवास बातें रोको।
    मैंने एक गांव में जाकर देखा - बिजली नहीं, पानी नहीं, बस बैंक नोटिफिकेशन की आवाज।
    अब तो बस एक नोटिफिकेशन के लिए भी धूम मचा रहे हो।
    इतनी बड़ी धनवर्षा? तो फिर बारिश क्यों नहीं आती? 🤡

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    jay mehta

    नवंबर 24, 2025 AT 16:19

    ये तो ज़िंदगी बदल देने वाला मोमेंट है भाईयों और बहनों! 🎉
    हर किसान को 9000 रुपये? ये तो बाबा का आशीर्वाद है! 🙌
    पैक्स गो-लाइव? वो तो गांव का डिजिटल गुरु है! 🚀
    और ये जो 2600 करोड़ की आपदा राहत? ये तो देश का दिल बोल रहा है!
    मैंने अपने दोस्त के बाप को देखा - उन्होंने पहली बार अपने बेटे को फोन पर बताया कि अब वो डिग्री नहीं, ट्रैक्टर लेने वाला है!
    ये बस राशि नहीं, ये भावना है!
    मैंने अपने चाचा को फोन किया - उन्होंने रोते हुए कहा, "बेटा, आज मैंने खुद को किसान महसूस किया!"
    ये देश का नया अध्याय है - और हम सब इसके हिस्से हैं!
    किसानों को जय! राजस्थान को जय! भारत को जय! 🇮🇳💪
    अगली किस्त के लिए तैयार रहो - ये तो अभी शुरुआत है! 💥

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    Amit Rana

    नवंबर 25, 2025 AT 03:53

    इस योजना का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये नियमित है।
    किसानों को अब ये भरोसा है कि हर साल दो बार पैसा मिलेगा - ये भविष्य की योजना बनाने की अनुमति देता है।
    राजस्थान के अतिरिक्त 3000 रुपये का फैसला बहुत बुद्धिमानी से लिया गया है।
    ये न केवल आय बढ़ाता है, बल्कि राज्य की जिम्मेदारी का भी संकेत देता है।
    पैक्स गो-लाइव केंद्रों के बारे में बात करूं तो ये वास्तविक ब्रेकथ्रू है।
    एक गांव में एक किसान ने मुझे बताया कि उसने अपनी फसल की कीमत ऑनलाइन चेक की और अपने बीज का ऑर्डर दे दिया - बिना बीच में किसी दलाल के।
    ये डिजिटल एक्सेस ने उसकी आय में 18% की बढ़ोतरी कर दी।
    ब्याजमुक्त ऋण का आंकड़ा 43,000 करोड़ भी बहुत बड़ा है - ये ऋण बोझ कम कर रहा है।
    इस तरह की योजनाएं अगर सभी राज्यों में लागू हो जाएं तो देश का कृषि अर्थव्यवस्था बदल सकता है।
    सिर्फ पैसा नहीं, इसमें स्थिरता, जागरूकता और सम्मान है।

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    Rajendra Gomtiwal

    नवंबर 26, 2025 AT 21:02

    हम तो देश के लिए तो बहुत कुछ करते हैं, लेकिन ये सब बस चुनावी नाटक है।
    किसानों को 9000 रुपये? अगर ये इतना अच्छा है तो फिर बारिश क्यों नहीं आ रही?
    क्या ये नहीं जानते कि खेतों में बारिश नहीं, बैंक नोटिफिकेशन नहीं, बल्कि सिंचाई चाहिए?
    ये सब तो बस टीवी पर दिखाने के लिए है।
    किसानों को असली सहायता चाहिए - न कि इतने ज्यादा नोटिफिकेशन।
    अगर ये सब इतना बड़ा है तो फिर नए बीज की कीमत क्यों बढ़ रही है?
    ये सब बस एक धोखा है।
    हमें जमीन का नियम बनाना चाहिए - न कि बैंक ट्रांसफर का शो।

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    Yogesh Popere

    नवंबर 26, 2025 AT 23:29

    अरे यार, तुम लोग इतना जोर लगा रहे हो कि लगता है जैसे किसानों को पहले कभी पैसा नहीं मिला।
    बस 6000 रुपये देना है तो क्या ये नई चीज है?
    मैंने अपने गांव में एक बुजुर्ग से पूछा - उन्होंने कहा, "बेटा, हम तो अब तक बारिश पर भरोसा करते रहे, अब बैंक पर भरोसा करना पड़ रहा है।"
    अगर तुम इतना खुश हो रहे हो तो फिर बारिश के लिए भी कुछ करो।
    ये सब बस बैंक में पैसा डालने का नाम है।
    किसानों को जमीन दो, बिजली दो, जल दो - तभी कुछ बदलेगा।
    अब तो बस नोटिफिकेशन आते ही फोन उठाने लगे।
    असली बदलाव तो वो है जब एक किसान अपनी फसल को बेचकर बचत करे - न कि बैंक से पैसा लेकर खर्च करे।

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    Manoj Rao

    नवंबर 27, 2025 AT 10:54

    क्या तुम्हें लगता है कि ये सब योजनाएं असली हैं? ये सब एक बहाना है - एक बड़ा नियंत्रण योजना।
    पैसा डालना आसान है, लेकिन जमीन का मालिकाना हक क्यों नहीं दिया जा रहा?
    क्या तुम्हें नहीं पता कि ये बैंक ट्रांसफर से तुम्हारा डेटा भी ट्रैक हो रहा है?
    एक बार जब तुम अपने खाते में पैसा लेने लगे, तो अब तुम्हारी फसल की डिटेल्स, तुम्हारे बीज, तुम्हारी बिक्री - सब एक सरकारी डेटाबेस में है।
    ये नहीं कि तुम्हें पैसा मिल रहा है - ये तो तुम्हें नियंत्रित किया जा रहा है।
    किसानों को आज एक नया गुलामी का रूप मिला है - डिजिटल गुलामी।
    अगर तुम ये सब बड़ा सम्मान मानते हो, तो फिर ये बताओ - क्या तुमने कभी अपने खेत का नाम बदलने का अधिकार पाया है?
    नहीं।
    क्योंकि तुम्हारा खेत अब एक डेटा पॉइंट है।
    इसलिए ये धनवर्षा नहीं, ये डिजिटल बंदीगी है।

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    Alok Kumar Sharma

    नवंबर 29, 2025 AT 02:52

    बस यही काफी है।

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    Tanya Bhargav

    नवंबर 29, 2025 AT 15:38

    मैंने अपनी माँ को देखा - वो रो रही थीं।
    उन्होंने कहा, "बेटा, अब तुम्हारे भाई को शहर नहीं भेजना पड़ेगा।"
    वो बस एक छोटी सी बात कह रही थीं - लेकिन मैंने उसमें एक दुनिया देखी।
    हम लोग तो बस नोटिफिकेशन देख रहे थे - लेकिन उन्होंने देखा कि एक बेटा अब घर रहेगा।
    मैंने आज अपने गांव के एक बुजुर्ग को बात की - उन्होंने कहा, "अब तो बच्चे भी खेत में आएंगे।"
    मैं नहीं जानती कि ये सब योजनाएं कितनी अच्छी हैं - लेकिन जब एक माँ रोए, तो वो कुछ और हो जाता है।
    ये तो सिर्फ पैसा नहीं - ये एक आशा है।
    मैं अभी भी नहीं जानती कि ये सब कितना टिकेगा - लेकिन आज के दिन के लिए, धन्यवाद।

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    Sanket Sonar

    दिसंबर 1, 2025 AT 04:21

    पीएम किसान निधि की 21वीं किस्त एक सिस्टमिक इंटरवेंशन का हिस्सा है - जो लंबे समय से अनुपालित राज्य-केंद्र सहयोग के ढांचे के भीतर आती है।
    राजस्थान का अतिरिक्त 3000 रुपये एक फिसल डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल है, जिसमें राज्य स्तरीय फिसल रिस्पॉन्सिबिलिटी को फोकस किया गया है।
    पैक्स गो-लाइव एक डिजिटल एक्सेस इकोसिस्टम है जो इनफॉर्मेशन असिमेट्री को कम कर रहा है।
    इसका अर्थ है कि फसल बाजार की लागत कम हो रही है - और इससे एग्रीकल्चरल इनकम के फ्लो में डायनामिक्स बदल रही है।
    केंद्र की 9436 करोड़ की खरीद एक नेटवर्क इफेक्ट बना रही है - जो मार्केट प्राइस वॉलैटिलिटी को कंट्रोल कर रही है।
    ये एक नियमित इंस्टिट्यूशनल इंटरवेंशन है - जिसका आर्थिक इंपैक्ट बहुत गहरा है।
    और ये तभी स्थायी होगा जब इसके साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर, रिसर्च और स्टोरेज का भी विकास हो।
    अभी तो बस एक टिप्पणी के लिए तो ये ही बहुत है।

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    pravin s

    दिसंबर 2, 2025 AT 03:36

    क्या अगली किस्त दिसंबर में आएगी? मैं बस यही जानना चाहता हूं।
    मेरे पास एक छोटा खेत है - और अगर ये पैसा आएगा, तो मैं अपने बेटे को एक नया ट्रैक्टर दे सकूंगा।
    मैंने इसके बारे में बहुत कुछ नहीं सोचा - बस उम्मीद है।
    अगर ये आएगा, तो मैं खुश हूं।

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    Bharat Mewada

    दिसंबर 2, 2025 AT 19:30

    ये सब जो हुआ है - ये एक नए समय की शुरुआत है।
    पहले किसान बारिश के लिए भगवान की आशा करते थे।
    अब वो बैंक नोटिफिकेशन के लिए भी आशा करते हैं।
    ये बदलाव बड़ा है।
    इसमें आशा है - और इसमें डर भी है।
    क्या ये पैसा आएगा? क्या ये जारी रहेगा? क्या ये सिर्फ एक भावना है?
    लेकिन आज एक बार फिर, किसान ने अपने आप को एक इंसान के रूप में महसूस किया।
    और शायद यही असली बदलाव है।
    क्योंकि जब एक आदमी अपने आप को इंसान महसूस करता है - तो वो अपने आसपास की दुनिया को भी बदल देता है।

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    Ambika Dhal

    दिसंबर 3, 2025 AT 14:16

    तुम सब इतने खुश क्यों हो? क्या तुम्हें नहीं पता कि ये सब बस एक धोखा है?
    किसानों को 9000 रुपये? तो फिर उनके बच्चे अभी भी बीमार क्यों हैं?
    उनके खेतों में बीज की कीमत बढ़ रही है, बिजली नहीं है, पानी नहीं है - लेकिन तुम बैंक नोटिफिकेशन के लिए तालियां बजा रहे हो।
    ये सब एक शो है - एक बहाना है।
    किसानों को जमीन दो - न कि ये नोटिफिकेशन।
    ये तो बस एक नया आधुनिक गुलामी का रूप है।
    तुम सब बस अपने आप को भाग्यशाली समझ रहे हो।
    मैं तो देख रही हूं - और ये देखकर दिल टूट रहा है।

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    Vaneet Goyal

    दिसंबर 4, 2025 AT 19:20

    ये योजना बहुत अच्छी है - लेकिन इसकी लागू करने की व्यवस्था पर नजर डालनी चाहिए।
    किसानों को पैसा मिल रहा है - लेकिन क्या वो उसे बैंक खाते में पहुंचा पा रहे हैं?
    क्या कोई भी जांच कर रहा है कि किसानों के खाते में ये रकम असली तौर पर पहुंची है?
    मैंने एक गांव में जाकर देखा - एक किसान को 15,000 रुपये मिले थे, लेकिन उसके खाते में सिर्फ 9000 थे।
    बाकी कहां गए?
    क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है?
    ये योजना बहुत अच्छी है - लेकिन अगर लागू होने में गड़बड़ है, तो ये बस एक बड़ा झूठ हो जाता है।
    हमें ये जांच करनी चाहिए - न कि सिर्फ तालियां बजानी।

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