भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में मास्को में एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में मोदी ने जोर देकर कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता और मौका था यूक्रेन विवाद के स्थायी समाधान के लिए शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाने का। मोदी की इस टिप्पणी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया, विशेषकर इस वक्त जब यूक्रेन में उच्चतम स्तर पर टकराव बना हुआ है।
मोदी ने पुतिन से मुलाकात के दौरान अपनी बात स्पष्ट की कि भारत हमेशा शांति का समर्थक रहा है। देश का उद्देश्य ऐसे समाधान ढूंढना है जो तमाम पक्षों को स्वीकार्य हो। यह मुलाकात खास इसलिए भी थी क्योंकि इसके तत्काल पहले कीव में एक बच्चों के अस्पताल पर जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें 37 लोग मारे गए थे। इस हमले ने मोदी की शांति की अपील को और भी प्रासंगिक बना दिया।
भारत ने अब तक यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे विवाद में तटस्थता बनाए रखी है। भारत की इस नीति की कुछ अंतरराष्ट्रीय समुदायों ने आलोचना की है। लेकिन मोदी का मानना है कि तटस्थता ही इस मुद्दे पर निष्पक्ष और उचित समाधान के लिए रास्ता खोल सकती है। मोदी और पुतिन की बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि दोनों देशों के संबंध केवल व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं बल्कि व्यापक सामरिक साझेदारी पर भी आधारित हैं।
इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि भारतीय प्रधानमंत्री रूस और पश्चिमी राष्ट्रों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने की नीति पर चलते हुए नजर आए। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने मोदी की रूस यात्रा पर तीखा प्रतिक्रिया दी और इसे शांति प्रयासों पर 'विनाशकारी प्रहार' कहा। इसके बावजूद, मोदी ने इसकी परवाह न करते हुए शांति के अपने संदेश को प्रमुखता से रखा।
मोदी और पुतिन ने व्यापारिक और ऊर्जा संबंधों पर भी व्यापक चर्चा की। भारत में ऊर्जा संकट को देखते हुए रूस से सस्ते तेल की खरीद में वृद्धि और साथ ही रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर निर्भरता भी चर्चा का महत्वपूर्ण हिस्सा रही। बैठक में छह और परमाणु ऊर्जा इकाइयों के निर्माण की संभावना पर भी चर्चा हुई। ये कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
बैठक में प्रमुखता से रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए गए। मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत और रूस के संबंधों की जड़ें बहुत गहरी हैं और ये केवल व्यापार या ऊर्जा तक सीमित नहीं हैं। पुतिन ने भी इस दौरान मोदी की शांति की मूहिम की सराहना की और दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों को गहरा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
यह यात्रा मोदी की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जिसमें वे किसी भी विवादित मुद्दे पर स्पष्ट और निष्पक्ष दृष्टिकोण प्रस्तुत करने में सफल रहे। मोदी की पुनः जोर देने वाली बात यह रही कि युद्ध समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं है और यह कि हर समस्या का समाधान बातचीत और शांति से ही संभव है। उनके इस दृष्टिकोण का अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वागत किया गया और इसे एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।