प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 सितंबर 2024 को ब्रुनेई और सिंगापुर की ऐतिहासिक यात्रा पर प्रस्थान किया है। यह भारत के किसी प्रधान मंत्री द्वारा इन दोनों देशों की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक विजन का हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का उद्देश्य ब्रुनेई और सिंगापुर के साथ भारत के संबंधों को और गहरा बनाना है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा की पहली मंज़िल ब्रुनेई है। वहां उनका स्वागत भव्य तरीके से होने की संभावना है। इस यात्रा के दौरान, मोदी ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हस्सानल बोल्किया से मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाएंगे। इस मुलाकात का एक प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना है। इतना ही नहीं, भारत और ब्रुनेई के बीच एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था में तेल और गैस का प्रमुख हिस्सा है। ऐसे में भारत और ब्रुनेई के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के नए अवसर खुल सकते हैं। दोनों देश वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को और बढ़ावा देने पर भी चर्चा करेंगे।
ब्रुनेई के बाद, प्रधानमंत्री मोदी 4 सितंबर 2024 को सिंगापुर के लिए प्रस्थान करेंगे। सिंगापुर में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति थरमन शनमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली सियान लूंग और इमरेटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करेंगे। सिंगापुर के साथ भारत के ऐतिहासिक और मौजूदा आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए इस यात्रा का विशेष महत्व है।
प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर के व्यापारिक समुदाय के नेताओं के साथ भी बातचीत करेंगे। सिंगापुर भारतीय कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य रहा है, और ऐसे में मोदी की बातचीत से दोनों देशों के व्यापारियों के बीच नेटवर्किंग और सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह इस यात्रा के माध्यम से ब्रुनेई, सिंगापुर और व्यापक आसियान क्षेत्र के साथ भारत की साझेदारी को और अधिक सशक्त बनाने के प्रति आश्वस्त हैं। मोदी ने अपने प्रस्थान से पहले कहा, "मेरी यह यात्रा न केवल ब्रुनेई और सिंगापुर के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर है, बल्कि इसे और अधिक व्यापक बनाने का भी है। आसियान देश भारत के प्रमुख साझेदार हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत और इन दो देशों के बीच किए गए ऐतिहासिक समझौतों और सहयोग को और अधिक आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जैसा कि हम जानते हैं, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक विजन का मुख्य उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी को बनाना है।
प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय यात्राएं हमेशा से ही कई नई संभावनाओं के द्वार खोलती रही हैं। उनकी यह यात्रा भी इसकी एक महत्वपूर्ण मिसाल है। ब्रुनेई और सिंगापुर के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध पहले से ही मजबूत रहे हैं, और अब यह यात्रा उन संबंधों को और सुदृढ़ करने का माध्यम बन रही है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की साख और प्रभाव को बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल व्यापार और निवेश के क्षेत्र में योगदान करेगी, बल्कि रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण साबित होगी।
अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ भी मिलेंगे, जो कि दोनों देशों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय समुदाय का स्वागत और उनके मुद्दों पर चर्चा भी इस यात्रा का एक अहम हिस्सा होगा। इससे न केवल भारत के प्रति उनकी श्रद्धा और संबंध और गहरे होंगे, बल्कि दोनों देशों के साथ संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।