पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों की शुरुआत 27 जुलाई 2024 को हुई, और भारतीय निशानेबाजी टीम ने पहले ही दिन जोरदार प्रदर्शन किया। विशेष रूप से महिला 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में मनु भाकर ने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है। यह भारतीय दल के लिए बेहद गर्व का क्षण है क्योंकि पिछली बार टोक्यो 2020 में टीम खाली हाथ लौटी थी।
मनु भाकर की तैयारियों को देखते हुए यह सफलता कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने पिछले कुछ महीनों में काफी कड़ी मेहनत की है और वोल्मरांज-लेस-मिन्स में आयोजित एकाकलीमेटाइजेशन और हार्ड-ट्रेनिंग कैंप में भी भाग लिया। इस कैंप का आयोजन नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने किया था, जिसका उद्देश्य निशानेबाजों को आगामी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करना था।
इस बार की भारतीय शूटिंग टीम में कुछ पुराने अनुभवी चेहरे हैं, तो कुछ नए प्रतिभाशाली निशानेबाज भी शामिल हुए हैं। अनुभवी निशानेबाजों में मनु भाकर, ऐशवर्य प्रताप सिंह तोमर, अंजुम मौद्गिल और एलावेनिल वलारिवन शामिल हैं। वहीं इस बार नए निशानेबाजों में सिफ्ट कौर सामरा और सरबजोत सिंह का नाम छाया हुआ है। यह सभी निशानेबाज अपनी मेहनत और जुनून के बलबूते पर यहां पहुँचे हैं और देश को गौरवान्वित करने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, सरबजोत सिंह को पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में निराशा हाथ लगी है। उन्होंने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन फाइनल में जगह नहीं बना पाए। सरबजोत की हार से टीम में थोड़ी निराशा जरूर है, लेकिन बाकी निशानेबाजों का प्रदर्शन उत्साहवर्धक रहा है।
भारतीय शूटिंग दल में कुल 21 निशानेबाज शामिल हैं, जो इस बार के ओलंपिक में अब तक के सबसे बड़े दल में से एक है। यह दल चीन के बराबरी का है। इस बड़े दल का मुख्य उद्देश्य टोक्यो 2020 की नाकामी का सुधार करना और अधिकतम पदक जितना है।
रूस के शूटिंग प्रतियोगिताओं में नहीं होने से भारतीय निशानेबाजों के लिए बेहतर प्रदर्शन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। रूस पर सख्त क्वालीफिकेशन प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिससे वे इस बार प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पा रहे। इसे भारतीय दल के लिए एक सकारात्मक पहलू माना जा रहा है।
भारतीय निशानेबाजों ने पेरिस में एंट्री से पहले कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लिया और अपने प्रदर्शन को निखारा। इसके अलावा, उनके लिए प्रेरणादायक कहानियाँ और कड़ी मेहनत के पीछे की कहानियाँ भी उन्हें संघर्ष का सामना करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
फाइनल्स और आगामी इवेंट्स में मनु भाकर के प्रदर्शन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। वह इस समय भारत की प्रमुख होप्स में से एक हैं। जहां एक तरफ उनका आत्मविश्वास और उनकी सटीक निशानेबाजी की कला उन्हें अन्य प्रतिस्पर्धियों से आगे खड़ा करती है, वहीं दूसरी तरफ सरबजोत सिंह जैसे युवा निशानेबाज आगामी प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद से देखे जा रहे हैं।
इस बार का ओलंपिक भारतीय निशानेबाजी टीम के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अपेक्षाएँ ऊँची हैं, और तैयारी में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी गई है। NRAI ने दल की घोषणा से पहले काफी सोच-विचार किया और नामित किए गए निशानेबाजों ने भी भरोसा बनाए रखने का वादा किया है।
अभी कई इवेंट्स बाकी हैं, और प्रत्येक निशानेबाज के प्रदर्शन पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है। ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर मेडल जीतने का मतलब केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं होता, बल्कि यह पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन जाता है।
आगे आने वाले दिनों में पेरिस 2024 में भारतीय निशानेबाजों के प्रदर्शन को देखना रोमांचक होगा। उम्मीद है कि वे अपनी मेहनत और जुनून के बलबूते पर मेडल लेकर लौटेंगे और देश के लिए नया इतिहास रचेंगे।