जब धनतेरस 2025भारत शनिवार 18 अक्टूबर को आएगा, तब कई लोग अमीर‑ताक़त के लिये तैयारियों में जुट जाएंगे। इस बार पंडित अजय सिंह, स्थानीय पुजारी ने बताया कि केवल रिवायती रिवाज़ ही नहीं, बल्कि कुछ खास उपाय (उपाय) भी हैं जो घर‑परिवार में नकारात्मकता को दूर कर सच्ची समृद्धि लाते हैं। यह लेख जागरण डेली के सामुदायिक रिपोर्ट पर आधारित है, जहाँ विशेषज्ञों ने धन‑वृद्धि के लिए सैकड़ों साल पुरानी विधियाँ संकलित की हैं।
धनतेरस, जो दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है, को वैदिक कैलेंडर में ‘श्रावण शुक्ल पंचमी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ माना जाता है; वह आयुर्वेद के संस्थापक और डॉक्टरों के देवता हैं। साथ‑साथ भगवानि लक्ष्मी का वास भी इस दिन विशेष रूप से सुदृढ़ माना जाता है। इसलिए लोग इस अवसर पर सोना‑चांदी, आयुध या नई वस्तुएँ खरीदकर धन‑संपदा की आराधना करते हैं।
स्थानीय समयानुसार, वाराणसी में सुबह 5:20 बजे से लेकर शाम 6:45 बजे तक विभिन्न मुहूर्त तय किए गए हैं। इस रीति‑रिवाज़ को ‘भव्य‑भव्य’ कहा जाता है, परंतु कई बार लोग इसे सिर्फ़ शॉपिंग इवेंट समझकर तैयारियों में पहल करती हुई देखे जाते हैं।
यहां वेदांतिक व्याख्यान मंडल के वरिष्ठ विद्वान डॉ. सविता वर्मा ने सात ऐसे उपाय बताये हैं जो सच्ची ऊर्जा को घर में बहाने में मदद करेंगे:
इन उपायों को एक‑एक करके लागू करने से न केवल घर में शांति बनी रहती है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभ मिलने की संभावना बढ़ती है। जैसा कि पंडित अजय सिंह ने कहा, “सच्ची पूजाअ की शक्ति तब ही काम करती है जब मन साफ हो और इरादे शुद्ध हों।”
सम्पूर्ण भारत में विभिन्न वैदिक विद्वानों ने धनतेरस पर अलग‑अलग श्लोकों की सिफ़ारिश की है। नीचे दो प्रमुख श्लोक हैं जो अक्सर घर में पाठ किए जाते हैं:
वित्तीय विशेषज्ञ रवि शुक्ला ने बताया कि “धनतेरस के दिन सोने‑चांदी की खरीदारी में 12% तक अधिक रियायतें मिलती हैं, लेकिन यदि ऊपर बताए गए आध्यात्मिक उपाय साथ में किए जाएँ तो कई बार निवेश पर रिटर्न दो‑तीन गुना तक बढ़ जाता है।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा, “समय का सही चयन – जैसे 07:12 बजे या 09:00 बजे – अक्सर ‘मुहूर्त’ के अनुसार किया जाता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह अधिक स्वाभाविक बनता है।”
पारंपरिक रूप से धनतेरस पर लोग धातु‑वस्तुएँ खरीदते हैं, पर अब कई NGOs ने ‘प्लास्टिक‑फ़्री’ और ‘पर्यावरण‑मित्र’ उपायों को प्रोत्साहित किया है। वाराणसी में ग्रीन भारत फाउंडेशन ने ‘सोने‑के‑बजाए पन्ना‑सजावट’ के नाम से एक पहल शुरू की। इसमें परिवार सोने के बजाय सजावटी पत्थर, बांस या कच्ची मिट्टी की वस्तुएँ अपनाते हैं, जिससे पर्यावरण पर दबाव कम होता है।
सामाजिक रूप से, कई गाँवों में इस दिन गरीबों को दान‑पात्र हाथ‑हत्थी में दिया जाता है। यह परम्परा ‘धन‑वितरण’ को भी दर्शाता है, जिससे घर‑घर में सुख‑शांति बनी रहती है।
2025 की धनतेरस के लिए विशेषज्ञों ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
इन बिंदुओं को अपनाकर कोई भी व्यक्ति धनतेरस की रौनक को अपने जीवन में स्थायी बनाकर रख सकता है। अंत में यही कहा जा सकेगा कि आत्मीयता, श्रद्धा और आधुनिक समझ का सही मिश्रण ही सच्ची समृद्धि का द्वार खोलता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों के तेल से दीप जलाना और धनवंतरी का मंत्र 108 बार जपना सबसे अधिक शक्ति प्रदान करता है। यह दो‑तीन घंटे पहले किया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा जल्दी दूर हो जाती है।
नहीं। सोना‑चांदी आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं, पर पर्यावरण‑मित्र विकल्प जैसे पन्ना, बांस या कच्ची मिट्टी की वस्तुएँ भी वही ऊर्जा प्रदान कर सकती हैं, अगर साथ में ऊपर बताए गए आध्यात्मिक उपाय किए जाएँ।
आप स्थानीय पंडित से संपर्क कर सकते हैं या जागरण डेली जैसी प्रतिष्ठित समाचार साइटों पर प्रकाशित मुहूर्त तालिका देख सकते हैं। वाराणसी में 5:20 am से लेकर 6:45 pm तक के समय सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं।
ध्यान रखें कि ‘ॐ धनवंतराय नमः’ को मध्यम स्वर में, प्रत्येक शब्द को स्पष्ट रूप से उच्चारित किया जाए। इसे सुबह के समय 108 बार दोहराना सबसे प्रभावी माना गया है।
दान देना वैकल्पिक है, पर कई पंडितों का तर्क है कि दान से ‘धन‑वितरण’ की भावना घर में स्थापित होती है, जिससे समृद्धि का प्रवाह और तेज़ होता है। यह आपकी व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर करता है।
Swapnil Kapoor
अक्तूबर 12, 2025 AT 03:24सरसों के तेल की दीपावली को सिर्फ़ रिवाज़ मानना बड़ा घाटा है। इसे शाम के 7 बजे तक जलाकर घर के चार कोनों में रखना चाहिए, क्योंकि उस समय ऊर्जा का प्रवाह सबसे तेज़ होता है। दीप को जलाते समय गहरी साँस लेकर मन को शांति दें, तभी नकारात्मकता दूर होगी। इस दिन को आधी रात के बाद नहीं करना चाहिए, नहीं तो ऊर्जा उलटी पड़ सकती है। साथ ही दीप को धूप या घास से बनाकर भी उपयोग किया जा सकता है, पर सरसों का तेल सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
इन बातों को रोज़मर्रा में लागू करने से धन‑समृद्धि के अवसर भी बढ़ते हैं।