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अक्तूबर, 12 2025
धनतेरस 2025 के 7 प्रभावी उपाय: नेगेटिविटी दूर, धन व समृद्धि की बरसात

जब धनतेरस 2025भारत शनिवार 18 अक्टू­बर को आएगा, तब कई लोग अमीर‑ताक़त के लिये तैयारियों में जुट जाएंगे। इस बार पंडित अजय सिंह, स्थानीय पुजारी ने बताया कि केवल रिवायती रिवाज़ ही नहीं, बल्कि कुछ खास उपाय (उपाय) भी हैं जो घर‑परिवार में नकारात्मकता को दूर कर सच्ची समृद्धि लाते हैं। यह लेख जागरण डेली के सामुदायिक रिपोर्ट पर आधारित है, जहाँ विशेषज्ञों ने धन‑वृद्धि के लिए सैकड़ों साल पुरानी विधियाँ संकलित की हैं।

धनतेरस 2025 का समय और महत्व

धनतेरस, जो दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है, को वैदिक कैलेंडर में ‘श्रावण शुक्ल पंचमी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ माना जाता है; वह आयुर्वेद के संस्थापक और डॉक्टरों के देवता हैं। साथ‑साथ भगवानि लक्ष्मी का वास भी इस दिन विशेष रूप से सुदृढ़ माना जाता है। इसलिए लोग इस अवसर पर सोना‑चांदी, आयुध या नई वस्तुएँ खरीदकर धन‑संपदा की आराधना करते हैं।

स्थानीय समयानुसार, वाराणसी में सुबह 5:20 बजे से लेकर शाम 6:45 बजे तक विभिन्न मुहूर्त तय किए गए हैं। इस रीति‑रिवाज़ को ‘भव्य‑भव्य’ कहा जाता है, परंतु कई बार लोग इसे सिर्फ़ शॉपिंग इवेंट समझकर तैयारियों में पहल करती हुई देखे जाते हैं।

धनवंतरी और लक्ष्मी की पूजा के 7 प्रमुख उपाय

यहां वेदांतिक व्याख्यान मंडल के वरिष्ठ विद्वान डॉ. सविता वर्मा ने सात ऐसे उपाय बताये हैं जो सच्ची ऊर्जा को घर में बहाने में मदद करेंगे:

  1. सरसों के तेल की दीपावली: आधी रात से पहले सरसों के तेल से एक छोटी सी दीपक जलाएँ। इसे ‘सुरक्षा‑दीप’ कहा जाता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  2. कौशिक्य‑कुंड में पवित्र जल: धातु‑कुंड (कॉपर) में जो पानी रखा जाता है, उसे स्वच्छता‑रक्षा माना जाता है। इस पानी को सुबह‑शाम दो बार घर के सभी कोने‑कोने में छिड़कें।
  3. सिंहासन‑सम्भार पूजा: धनवंतरी की मूर्ति को सफेद कपड़े में ढँक कर, उसे ‘सिंहासन’ पर रखें और तीन बार ‘ॐ धनवंतरी नमः’ उच्चारण करें।
  4. स्वर्ण‑सम्पर्क: यदि बजट अनुमति दे तो धनतेरस के सुबह सोने की छोटी सी अंगूठी या कंगन खरीदें। इसे केवल 27 अंकुश में खरीदा जाए तो शुभ माना जाता है।
  5. लक्ष्मी‑पात्र स्थापित करना: एक मिट्टी के बर्तन में चावल, दाल और मिठाई रखें, फिर उस पर ‘श्री लक्ष्मी प्रणाम’ लिखें और रात तक रखें। सुबह उठते‑ही इसे सुरक्षित स्थान पर रखें।
  6. ध्यान‑धनवंतरी मंत्र: ‘ॐ धनवंतराय नमः’ को 108 बार जपें। यह मंत्र वैदिक ग्रंथों में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिये लिखा गया है।
  7. सकारात्मक संवाद: घर के सभी सदस्य मिलकर ‘धन‑समृद्धि’ का संकल्प लें और एक छोटी सी कागज़ी वाला पतर लिखें जिसमें लिखा हो – ‘हम इस वर्ष सभी बाधाओं को दूर करेंगे और आय में वृद्धि होगी।’ इसे अलंकृत कागज में रखकर दरवाज़े के पास रखें।

इन उपायों को एक‑एक करके लागू करने से न केवल घर में शांति बनी रहती है, बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभ मिलने की संभावना बढ़ती है। जैसा कि पंडित अजय सिंह ने कहा, “सच्ची पूजाअ की शक्ति तब ही काम करती है जब मन साफ हो और इरादे शुद्ध हों।”

विशेषज्ञों की राय और वैदिक श्लोक

सम्पूर्ण भारत में विभिन्न वैदिक विद्वानों ने धनतेरस पर अलग‑अलग श्लोकों की सिफ़ारिश की है। नीचे दो प्रमुख श्लोक हैं जो अक्सर घर में पाठ किए जाते हैं:

  • ॥ ॐ धामेन धामनः परम् धाम नियोजत ॥ – यह श्लोक ‘धाम’ (स्थली) को समृद्धि के केन्द्र में बदलने का मन्त्र माना जाता है।
  • ॥ ॐ ह्रं ह्रीं ह्रौं सवित्राय नमः ॥ – यह मंत्र लक्ष्मी की कृपा को आमंत्रित करने के लिये प्रयोग किया जाता है।

वित्तीय विशेषज्ञ रवि शुक्ला ने बताया कि “धनतेरस के दिन सोने‑चांदी की खरीदारी में 12% तक अधिक रियायतें मिलती हैं, लेकिन यदि ऊपर बताए गए आध्यात्मिक उपाय साथ में किए जाएँ तो कई बार निवेश पर रिटर्न दो‑तीन गुना तक बढ़ जाता है।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए कहा, “समय का सही चयन – जैसे 07:12 बजे या 09:00 बजे – अक्सर ‘मुहूर्त’ के अनुसार किया जाता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह अधिक स्वाभाविक बनता है।” पर्यावरणीय और सामाजिक पहलू

पर्यावरणीय और सामाजिक पहलू

पारंपरिक रूप से धनतेरस पर लोग धातु‑वस्तुएँ खरीदते हैं, पर अब कई NGOs ने ‘प्लास्टिक‑फ़्री’ और ‘पर्यावरण‑मित्र’ उपायों को प्रोत्साहित किया है। वाराणसी में ग्रीन भारत फाउंडेशन ने ‘सोने‑के‑बजाए पन्ना‑सजावट’ के नाम से एक पहल शुरू की। इसमें परिवार सोने के बजाय सजावटी पत्थर, बांस या कच्ची मिट्टी की वस्तुएँ अपनाते हैं, जिससे पर्यावरण पर दबाव कम होता है।

सामाजिक रूप से, कई गाँवों में इस दिन गरीबों को दान‑पात्र हाथ‑हत्थी में दिया जाता है। यह परम्परा ‘धन‑वितरण’ को भी दर्शाता है, जिससे घर‑घर में सुख‑शांति बनी रहती है।

आगे क्या करना चाहिए? भविष्य की दिशाएँ

2025 की धनतेरस के लिए विशेषज्ञों ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:

  • डिज़िटल‑पेमेंट के साथ सोने‑चांदी की खरीदारी करें, जिससे घोटालों की सम्भावना घटे।
  • परिवार में ‘धन‑धर्म’ की वार्ता आयोजित करें, ताकि बच्चों में वित्तीय जागरूकता बढ़े।
  • समुदाय के साथ मिलकर ‘सकारात्मक ऊर्जा चक्र’ बनाएं – हर घर में एक छोटा‑सा दिवालिया मंडल रखें।
  • पारम्परिक मंत्रों को ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से सीखें, जिससे युवा पीढ़ी का जुड़ाव बना रहे।

इन बिंदुओं को अपनाकर कोई भी व्यक्ति धनतेरस की रौनक को अपने जीवन में स्थायी बनाकर रख सकता है। अंत में यही कहा जा सकेगा कि आत्मीयता, श्रद्धा और आधुनिक समझ का सही मिश्रण ही सच्ची समृद्धि का द्वार खोलता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धनतेरस के दिन कौन‑सी विधि सबसे प्रभावी है?

विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों के तेल से दीप जलाना और धनवंतरी का मंत्र 108 बार जपना सबसे अधिक शक्ति प्रदान करता है। यह दो‑तीन घंटे पहले किया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा जल्दी दूर हो जाती है।

क्या सोने की खरीदारी अनिवार्य है?

नहीं। सोना‑चांदी आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं, पर पर्यावरण‑मित्र विकल्प जैसे पन्ना, बांस या कच्ची मिट्टी की वस्तुएँ भी वही ऊर्जा प्रदान कर सकती हैं, अगर साथ में ऊपर बताए गए आध्यात्मिक उपाय किए जाएँ।

धनतेरस के मुहूर्त को कैसे जानें?

आप स्थानीय पंडित से संपर्क कर सकते हैं या जागरण डेली जैसी प्रतिष्ठित समाचार साइटों पर प्रकाशित मुहूर्त तालिका देख सकते हैं। वाराणसी में 5:20 am से लेकर 6:45 pm तक के समय सर्वाधिक शुभ माने जाते हैं।

धनवंतरी मंत्र का सही उच्चारण कैसे करें?

ध्यान रखें कि ‘ॐ धनवंतराय नमः’ को मध्यम स्वर में, प्रत्येक शब्द को स्पष्ट रूप से उच्चारित किया जाए। इसे सुबह के समय 108 बार दोहराना सबसे प्रभावी माना गया है।

क्या धनतेरस के दिन दान देना आवश्यक है?

दान देना वैकल्पिक है, पर कई पंडितों का तर्क है कि दान से ‘धन‑वितरण’ की भावना घर में स्थापित होती है, जिससे समृद्धि का प्रवाह और तेज़ होता है। यह आपकी व्यक्तिगत श्रद्धा पर निर्भर करता है।

टैग: धनतेरस 2025 उपाय धन व समृद्धि लाकshmi पूजा दंवत्तरि श्लोक

5 टिप्पणि

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    Swapnil Kapoor

    अक्तूबर 12, 2025 AT 03:24

    सरसों के तेल की दीपावली को सिर्फ़ रिवाज़ मानना बड़ा घाटा है। इसे शाम के 7 बजे तक जलाकर घर के चार कोनों में रखना चाहिए, क्योंकि उस समय ऊर्जा का प्रवाह सबसे तेज़ होता है। दीप को जलाते समय गहरी साँस लेकर मन को शांति दें, तभी नकारात्मकता दूर होगी। इस दिन को आधी रात के बाद नहीं करना चाहिए, नहीं तो ऊर्जा उलटी पड़ सकती है। साथ ही दीप को धूप या घास से बनाकर भी उपयोग किया जा सकता है, पर सरसों का तेल सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
    इन बातों को रोज़मर्रा में लागू करने से धन‑समृद्धि के अवसर भी बढ़ते हैं।

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    kuldeep singh

    अक्तूबर 21, 2025 AT 13:54

    धनतेरस की रात में सोने के टुकड़े नहीं, बल्कि दिल के टुकड़े ही खरीदो! 🔥

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    Shweta Tiwari

    अक्तूबर 31, 2025 AT 00:24

    धनवंतरी के मंत्र "ॐ धनवंतराय नमः" को 108 बार जपने की सलाह वैज्ञानिक रूप से भी समझी जा सकती है। इस जप के दौरान दिमाग में सकारात्मक विचारों को कायम रखना आवश्यक है, क्योंकि मन की ऊर्जा शब्दों तक पहुँचती है। यदि आप यह जप सुबह के 7‑8 बजे करें, तो सूर्य की रोशनी भी आपके मन में अतिरिक्त शक्ति देगी। साथ ही, इस जप को दोहराते समय ध्वनि को स्पष्ट रखें, क्योंकि अक्षर‑शब्द की स्पष्टता से प्रभाव बढ़ता है। हिन्दी में इस मंत्र का उच्चारण थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन मूलभूत स्वर वही रहे। यह प्रक्रिया रोज़ाना दोहराने से केवल धन ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
    इस प्रकार, विज्ञान और आध्यात्मिकता का समन्वय धनतेरस को अधिक प्रभावी बनाता है।

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    Aaditya Srivastava

    नवंबर 9, 2025 AT 10:54

    धनतेरस के दिन सोने‑चांदी का लेन‑देन हमेशा से सामाजिक स्तर का दर्पण रहा है। पुराने समय में परिवार के बड़े लोग इस दिन को ‘भव्य‑भव्य’ कहकर नई चीज़ें खरीदते थे, ताकि घर में समृद्धि का माहौल बने। आजकल ऑनलाइन शॉपिंग से यह रिवाज़ बदल रहा है, पर फिर भी घर में दीप जलाना और ऋषि‑मंत्र का जाप अनिवार्य है। वाराणसी की परम्परा में सुबह 5:20 बजे से शाम 6:45 बजे तक के मुहूर्त को विशेष महत्व दिया जाता है; यही समय घर के मुख्य द्वार को स्वर्ण‑परीक्षित वस्तुओं से सजाने का सबसे अच्छा अवसर है।
    यह संस्कृति हमें दिखाती है कि बाहरी दिखावा और आंतरिक शुद्धता दोनों का संतुलन ही सच्ची समृद्धि लाता है।

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    akshay sharma

    नवंबर 18, 2025 AT 21:24

    धनतेरस पर सोने‑चांदी की धूम गिराने का मुख्य कारण आर्थिक कारणों से ज्यादा मार्केटिंग बज़वर्ड है। बैंकों और रिटेलर का उद्देश्य इस दिन की बिक्री को बढ़ावा देना है, जिससे खरीदार अक्सर अधिक खर्च कर देते हैं। चाहे वह 27 अंकुश में ही क्यों न हो, यह भी एक मार्केटिंग ट्रिक है। यदि आप वास्तव में समृद्धि चाहते हैं, तो इस आर्थिक फ़ंदे से बाहर निकलकर आध्यात्मिक उपायों पर ध्यान दें।
    व्यावहारिक रूप से सोचें, धन का असली स्रोत निवेश और बचत है, न कि सिर्फ़ चमकदार धातु।

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