बिहार के जामुई जिले में 2,090.5 करोड़ रुपये के बर्नर जलाशय प्रोजेक्ट को जीतने के बाद NCC Ltd के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर ट्रेडिंग के शुरुआती घंटों में 4.9% बढ़कर 222.50 रुपये पहुँच गए। यह खबर 15 सितंबर, 2025 को बिहार के जल संसाधन विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक पत्र (Letter of Award) के बाद सामने आई, जिसमें निर्माण कार्य की अनुमति दी गई। यह ठेका सिर्फ एक बड़ा लेनदेन नहीं — यह उस टीम के लिए एक जीवन बदलने वाला मोड़ है, जिसके शेयर पिछले एक साल में 33% गिर चुके थे।
प्रोजेक्ट का विस्तार: जल संकट से निकलने का रास्ता
बर्नर जलाशय प्रोजेक्ट सिर्फ एक बाँध नहीं है। इसमें एक विशाल जलाशय, डैम संरचनाएँ, 150 किमी से अधिक की आयरीगेशन चैनल्स और आसपास के 12 गाँवों के लिए जल वितरण प्रणाली शामिल है। यह प्रोजेक्ट बिहार के उत्तरी भाग में लंबे समय से चल रहे जल संकट का सीधा जवाब है, जहाँ बारिश के बाद भी खेतों में पानी नहीं पहुँच पाता। 30 महीने के निर्माण के बाद, 60 महीने तक डेफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (DLP) भी है — यानी अगर कोई बड़ी खामी आए तो NCC को उसे बिना किसी अतिरिक्त लागत के ठीक करना होगा। यह ठेका घरेलू वर्गीकरण के तहत दिया गया है, जिसका मतलब है कि इसमें कोई विदेशी फंड या रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन शामिल नहीं है।
फाइनेंशियल रियलिटी: जब बड़े ठेके भी नहीं बचा पाए निकासी के बारे में
लेकिन यहाँ एक अजीब बात है — जबकि शेयर चढ़ रहे हैं, NCC की कंपनी के लिए Q1FY26 (जून 2025 तक का तिमाही) का परिणाम बहुत खराब रहा। शुद्ध लाभ 8.4% गिरकर 192.1 करोड़ रुपये हो गया, और ऑपरेशनल रेवेन्यू 6.3% घटकर 5,179 करोड़ रुपये पर आ गया। यह उसी समय हुआ जब बिहार के इस प्रोजेक्ट का घोषणा हुआ। क्या यह एक बड़ी बात है? हाँ। क्यों? क्योंकि यह दिखाता है कि बड़े ठेके अक्सर बाद में आते हैं, जबकि चालू खर्च और लागत अभी भी भारी हैं। इस तिमाही में निर्माण क्षेत्र के लिए लागत बढ़ने, मजदूरी और सामग्री की कमी ने नाजुक संतुलन बिगाड़ दिया।
अन्य ठेके और श्रृंखला प्रभाव
यह बर्नर प्रोजेक्ट सिर्फ एक अकेला झटका नहीं है। जून 2025 में NCC ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट ऑथॉरिटी (MMRDA) के लिए मेट्रो लाइन 6 का 2,269 करोड़ रुपये का ठेका जीता — जिसमें रोलिंग स्टॉक, सिग्नलिंग और डिपो मशीनरी शामिल थी। इसके अलावा, उसी महीने राज्य सरकारों और निजी कंपनियों से 1,690.5 करोड़ रुपये के बिल्डिंग डिवीजन के ऑर्डर मिले। इसका मतलब है कि NCC अब सिर्फ बिहार या मुंबई का नहीं, बल्कि पूरे देश के बुनियादी ढांचे का निर्माता बन रहा है।
इसके अलावा, निचले स्तर पर भी इसका असर दिख रहा है। मार्कोलाइंस पैवमेंट टेक्नोलॉजीज लिमिटेड को NCC ने 454 प्रोजेक्ट साइट पर जमीनी कार्यों के लिए 3.51 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया। वहीं, टिटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड ने मुंबई मेट्रो के लिए 1,598.55 करोड़ रुपये का स्पेशलाइज्ड सबकॉन्ट्रैक्ट जीता। यह एक जटिल श्रृंखला है — जहाँ एक बड़ी कंपनी अपने उप-ठेकेदारों को जीवन दे रही है।
शेयर बाजार का रिएक्शन: आशा या अतिरंजित उत्साह?
शेयर बाजार ने इस खबर को तुरंत स्वीकार कर लिया। लेकिन याद रखें — NCC के शेयर इस साल अभी तक 23.55% गिर चुके हैं। पिछले छह महीने में 13.97% की बढ़त तो हुई है, लेकिन पिछले तीन महीने में 6.44% की गिरावट भी। यह एक अस्थिर छवि है। क्या यह एक लंबे समय तक चलने वाला ट्रेंड है? या सिर्फ एक अच्छे ऑर्डर की वजह से एक छोटी छलांग? एक्सपर्ट्स कहते हैं — यह एक बुनियादी बदलाव की शुरुआत हो सकती है। अगर NCC अगले दो तिमाहियों में इन ठेकों के लिए काम शुरू कर देता है और लागत नियंत्रित रहती है, तो यह एक टर्नअराउंड की शुरुआत हो सकती है।
बिहार के लिए क्या बदलाव होगा?
बर्नर जलाशय का असर सिर्फ NCC तक सीमित नहीं है। जामुई जैसे जिले में 2.5 लाख लोग बारिश पर निर्भर हैं। अगर यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा हुआ, तो 1.2 लाख एकड़ खेती की भूमि को नियमित सिंचाई मिलेगी। इसके साथ ही, गाँवों में पानी की कमी के कारण होने वाली आंतरिक प्रवास की समस्या कम होगी। यह प्रोजेक्ट बिहार के लिए एक राष्ट्रीय उदाहरण बन सकता है — कैसे एक छोटे जिले का एक बड़ा जल संसाधन प्रोजेक्ट एक निजी कंपनी को बचा सकता है और लाखों किसानों को बचा सकता है।
अगले कदम: क्या अभी भी कुछ अनिश्चित है?
अभी भी कुछ सवाल खुले हैं। क्या बिहार सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए नियमित भुगतान कर पाएगी? पिछले कुछ सालों में राज्य सरकारों ने बड़े बुनियादी ढांचे के ठेकों के भुगतान में देरी की है। क्या NCC के पास इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए पर्याप्त नकदी है? और क्या यह प्रोजेक्ट वास्तव में 30 महीने में पूरा हो पाएगा — जिसमें बारिश, भूमि अधिग्रहण और मजदूरी की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं? ये सवाल अभी जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बर्नर जलाशय प्रोजेक्ट किस तरह बिहार के किसानों को फायदा पहुँचाएगा?
इस प्रोजेक्ट के तहत 1.2 लाख एकड़ खेती की भूमि को सिंचाई के लिए नियमित पानी मिलेगा, जिससे जामुई और आसपास के गाँवों में फसलों की उपज में 40-50% की बढ़ोतरी की उम्मीद है। बारिश पर निर्भरता कम होगी, और दो फसलें उगाने का मौका मिलेगा।
NCC Ltd के शेयर क्यों इतने तेजी से बढ़े, जबकि कंपनी का लाभ घट रहा है?
शेयर बाजार भविष्य की उम्मीदों पर खेलता है। यहाँ एक बड़ा ठेका (2,090.5 करोड़ रुपये) आने से निवेशकों को लगा कि NCC का ऑर्डर बुफर बढ़ गया है, और अगले दो साल में आय बढ़ेगी। चालू लाभ की कमी को अस्थायी माना जा रहा है।
क्या यह प्रोजेक्ट बिहार के अन्य जल संसाधन प्रोजेक्ट्स के लिए मिसाल बन सकता है?
हाँ। अगर यह प्रोजेक्ट समय पर और बिना बाधा के पूरा होता है, तो यह दूसरे जिलों के लिए एक नया मॉडल बन सकता है — जहाँ निजी कंपनियाँ राज्य सरकारों के साथ लंबे समय तक विश्वास के साथ काम करें। यह भारत में जल संसाधन प्रबंधन के लिए एक नई नीति की शुरुआत हो सकती है।
NCC के लिए अगले छह महीने में क्या उम्मीद है?
अगले छह महीने में NCC के लिए दो चीजें महत्वपूर्ण हैं: एक, बर्नर प्रोजेक्ट के लिए निर्माण शुरू करना, और दूसरा, MMRDA के मेट्रो प्रोजेक्ट का काम तेजी से आगे बढ़ाना। अगर दोनों परियोजनाएँ समय पर चलेंगी, तो Q3 और Q4 में रेवेन्यू में तेजी आ सकती है।