प्रिसबायोपिया, एक सामान्य आयु-सम्बंधित दृष्टि समस्या है जो 40 साल की उम्र के बाद लोगों को प्रभावित करती है। इसकी विशेषता है कि उम्र के साथ आंखों की दृष्टि कम होती जाती है, जिससे नज़दीकी वस्तुओं पर ध्यान केंद्रीत करना मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर यह समस्या 45 वर्ष की आयु में शुरू होती है और 60 वर्ष की उम्र तक बढ़ती है। इसके कारण लोग पढ़ते समय चश्मे का उपयोग करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यह स्थिति उनके दैनिक जीवन और कार्यक्षमता पर प्रभाव डाल सकती है।
मुंबई स्थित एंटोड फार्मास्यूटिकल्स द्वारा विकसित प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स का उद्देश्य इस समस्या को हल करना है। इस उत्पाद को हाल ही में भारत की केंद्रीय दवाइयों की मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति द्वारा मंजूरी दी गई है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भी इस ड्रॉप को अंतिम स्वीकृति प्रदान की है, जो इसे देश में उपलब्ध कराने के लिए अंतिम कदम है।
प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स की विशेषता यह है कि यह न केवल पढ़ाई के चश्मे की आवश्यकता को कम करती है, बल्कि आंखों को अतिरिक्त स्नेहन भी प्रदान करती है। इसके फॉर्मूले में उपयोग की गई उन्नत डायनामिक बफर तकनीक इसे आंसुओं के पीएच के अनुरूप तेजी से समायोजित करती है, जिससे दीर्घकालिक उपयोग के लिए लगातार प्रभावी और सुरक्षित बनी रहती है।
एंटोड फार्मास्यूटिकल्स के प्रमुख निखिल के मसुरकर के अनुसार, यह मंजूरी कई वर्षों की समर्पित शोध और विकास का परिणाम है और इसका उद्देश्य लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है।
डॉ. धनंजय बाखले के अनुसार, प्रिसव्यू का नैदानिक संभावना महत्वपूर्ण है और यह दैनिक जीवन और उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसी तरह, डॉ. आदित्य सेठी ने कहा कि यह ड्रॉप्स प्रिसबायोपिया से प्रभावित लोगों के लिए एक उन्नत विकल्प प्रदान करती हैं, जो केवल 15 मिनट में निकट दृष्टि को बढ़ाती हैं।
प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स का मूल्य 350 रुपये रखा गया है और यह अक्टूबर के पहले हफ्ते से फॉर्मेसियों में उपलब्ध होगी। शुरुआत में यह नुस्खे के आधार पर उपलब्ध होगी और यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए निर्मित की गई है जिनकी उम्र 40 से 55 वर्ष के बीच है और जो हल्के से मध्यम प्रिसबायोपिया से प्रभावित हैं।
प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स से उन लोगों को प्रमुख लाभ मिल सकता है जिन्हें पढ़ते समय चश्मे का उपयोग कठिन लगता है। यह ड्रॉप्स न केवल नज़दीकी दृष्टि को बढ़ाती हैं, बल्कि आंखों के स्नेहन का भी ख्याल रखती हैं। इसका मतलब है कि उपयोगकर्ता बिना किसी आक्रमण के दृष्टि सुधार का आनंद ले सकते हैं। यह उन मरीजों के लिए एक क्रांति के रूप में आ सकती है जो पारंपरिक दृष्टि सुधार उपायों से असहज महसूस करते हैं।
प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स को मंजूरी से पहले विभिन्न नैदानिक परीक्षाएं और अनुसंधान किए गए। इन परीक्षणों में पाया गया कि यह ड्रॉप्स ना केवल सुरक्षित हैं, बल्कि अत्यधिक प्रभावी भी हैं। परीक्षणों में अधिकांश मरीजों ने पाया कि उनकी निकट दृष्टि में महत्वपूर्ण सुधार हुआ और उन्हें पढ़ते समय चश्मे की आवश्यकता नहीं पड़ी। इसके अलावा, कुछ चिकित्सकीय विशेषज्ञों ने भी इस उत्पाद का समर्थन किया, यह मानते हुए कि यह आँखों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण नवाचार है।
प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती हैं। इनके नियमित उपयोग से प्रिसबायोपिया के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और निरंतर दृष्टि सुधार सुनिश्चित किया जा सकता है। यह उत्पाद उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो अत्यधिक समय कंप्यूटर स्क्रीन या किताबों के सामने बिताते हैं, क्योंकि यह ड्रॉप्स उनकी आँखों को आराम और स्नेहन प्रदान करके दृष्टि स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं।
इस प्रकार, प्रिसव्यू आई ड्रॉप्स भारतीय दृष्टि सुधार के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में उभर रही हैं। इसके मंजूरी से लाखों भारतीयों के लिए दृष्टि सुधार के एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। अब देखना होगा कि यह आई ड्रॉप्स उपयोगकर्ताओं के बीच कितनी लोकप्रिय होती हैं और इसके परिणामस्वरूप कितने लोग चश्मे से छुटकारा पाते हैं। वास्तव में, यह समय ही बताएगा कि प्रिसव्यू की सफलता कितनी व्यापक और प्रभावशाली होती है।