भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने अपने करियर के सबसे महत्वपूर्ण और भावुक क्षण का खुलासा करते हुए कहा कि वह चल रहे ओलंपिक के कांस्य पदक मैच में अपने देश के लिए आखिरी बार खेलेंगे। इस घोषणा ने न केवल उनके प्रशंसकों बल्कि पूरे भारतीय हॉकी समुदाय को एक भावुक यात्रा में डुबो दिया है।
श्रीजेश ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर एक लंबा और भावुक नोट साझा किया है, जिसमें उन्होंने अपने करियर की शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक की पूरी यात्रा का वर्णन किया है। इस संदेश में उन्होंने अपने टीममेट्स, परिवार, कोच और विशेषकर प्रशंसकों का धन्यवाद किया है जिन्होंने उनके हर अच्छे और बुरे समय में उनका साथ दिया।
इस संदेश में श्रीजेश ने अपनी मेहनत, त्याग और संघर्ष की कहानियों को भी साझा किया है। उन्होंने कहा कि उनके सफर का हर कदम उन्हें आगे बढ़ने और बेहतर बनने के लिए प्रेरित करता रहा है। श्रीजेश का यह बयान तब आया है जब भारतीय पुरुष हॉकी टीम ओलंपिक के कांस्य पदक के मैच के लिए तैयार है।
श्रीजेश का संदेश भावुकता से भरपूर था। उन्होंने अपनी मेहनत और संकल्प के साथ-साथ टीम के प्रति अपने समर्पण की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, "मैंने हर बार यह सोचकर खेला कि मैं अपनी देश के लिए सबसे अच्छा करूं। इस यात्रा में कई ऊँच-नीचें आईं, लेकिन आपके समर्थन ने हमेशा मुझे उत्साहित और मजबूत बनाया।"
श्रीजेश ने अपने संदेश में उन क्षणों को भी याद किया जब उनकी मेहनत और टीम की साझेदारी ने उन्हें अद्वितीय बना दिया। उन्होंने बताया कि कैसे वह बचपन से ही हॉकी के प्रति आकर्षित हुए और फिर भारतीय टीम में शामिल होने तक की यात्रा तय की। उनके करियर में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर रहे हैं, जिन्हें वह गर्व के साथ याद करते हैं।
श्रीजेश ने इस अंतिम मैच की अहमियत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक मैच नहीं है, बल्कि उनके लिए यह एक ऐतिहासिक और भावुक विदाई है। उनके लिए यह मैच एक मौका है उस समर्थन और विश्वास को लौटाने का, जो उन्हें उनके प्रशंसकों और साथियों से मिला है।
श्रीजेश ने इस मैच को समर्पण और प्रतिस्पर्धा के प्रतीक के रूप में देखा है। उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए केवल एक कांस्य पदक मैच नहीं है, यह उस प्रत्येक व्यक्ति को धन्यवाद कहने का समय है जिसने मुझे यहाँ तक पहुँचने में मदद की।"
उनकी इस घोषणा के बाद हॉकी प्रेमियों में एक खास तरह की उदासी और सम्मान की भावना पनपी है। उनके साथी खिलाड़ियों और कोचों ने भी उनके समर्पण और टीम के प्रति प्रतिबद्धता की तारीफ की।
भारतीय हॉकी में पीआर श्रीजेश का योगदान अमूल्य है। उन्होंने अपने खेल और प्रदर्शन से देश को कई गर्व के क्षण दिए हैं। उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने कई टूर्नामेंट और प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है। श्रीजेश का यह आखिरी मैच नहीं केवल उनकी यात्रा का समापन है, बल्कि यह एक नई शुरुआत का संकेत भी है।
उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। उन्होंने अपने जीवन और खेल के माध्यम से दिखाया है कि कैसे एक खिलाड़ी अपने सपनों को साकार कर सकता है और देश का नाम रोशन कर सकता है। उनके योगदान को याद करते हुए, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनका साहस और संकल्प ही उन्हें महान बनाता है।
इस आखिरी मैच के बाद, श्रीजेश अपनी नई भूमिका में उम्मीद से काम करेंगे, जिससे वह भारतीय हॉकी को और ऊंचाईयों पर ले जा सकें। उनके अद्वितीय समर्पण और खेल के प्रति प्रेम की कहानी हमेशा सभी के दिलों में बसी रहेगी।