अंतरिक्ष की गहराइयों में कभी कभी ऐसे दृश्य मिलते हैं, जो हैरान कर देते हैं। नासा के हबल टेलीस्कोप ने हाल ही में ऐसा ही एक नजारा कैद किया है। पपिस तारामंडल की दूरी करीब 6,000 प्रकाश-वर्ष है और वहीं वैज्ञानिकों की नजर गई 'स्नोमैन' पर—जी हां, अंतरिक्ष में बहती चमकदार गैस और धूल से बनती यह संरचना वाकई बर्फ के पुतले जैसी दिखती है। तकनीकी रूप से इसका नाम स्नोमैन नीहारिका (LBN 1046) है।
यह नीहारिका कोई साधारण बादल नहीं, बल्कि आयनाइज्ड गैस का बहुत विशाल बादल है, जिसे वहां मौजूद बड़े-बड़े तारे रोशन करते हैं। इन तारों की पराबैंगनी किरणें हाइड्रोजन के परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन छीन लेती हैं। जब ये इलेक्ट्रॉन फिर अपनी पुरानी स्थिति पर लौटते हैं, तो रोशनी निकलती है, जिससे पूरा नीहारिका जगमगाने लगता है। यही चमक हबल के कैमरों में दर्ज हुई है।
वैज्ञानिकों की टीम ने यह अनोखी छवि हबल की वाइड फील्ड कैमरा 3 की मदद से ली। इस कैमरे की खासियत यह है कि यह ऐसे हाइड्रोजन परमाणुओं को भी पकड़ सकता है, जिन पर पराबैंगनी किरणों का असर हुआ हो। प्रोटोस्टार्स यानी बनने की प्रक्रिया में मौजूद तारों और मध्यम आकार के तारों के सर्वे में यह तकनीकी अद्भुत साबित हुई। सर्वे के दौरान सिर्फ चमकदार रोशनी नहीं, बल्कि तारा-निर्माण की उलझी प्रक्रिया भी समझ में आई।
हबल टेलीस्कोप पिछले तीन दशक से अंतरिक्ष की तस्वीरें भेज रहा है—हमारे ब्रह्मांड को जानने का तरीका ही बदल गया है। हालांकि हबल की यात्रा इतनी आसान नहीं रही। हाल ही में इसके साइंस इंस्ट्रूमेंट्स में तकनीकी गड़बड़ी आई, जिससे कुछ समय तक काम ठप रहा। फिर भी ऐसे शानदार चित्र यह बताते हैं कि सारे झंझटों के बावजूद हबल हमारी नजरें ब्रह्मांड के हर कोने तक पहुंचा रही है।
हर बार कुछ मुश्किलों के बावजूद, नासा और हबल टेलीस्कोप की साझेदारी से विज्ञान की दुनिया में नए रंग भरते रहते हैं। अब जब भी आसमान में चमकती किसी नीहारिका की चर्चा हो, तो 'स्नोमैन' का जिक्र जरूर होगा।