केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में हेमाजी समिति रिपोर्ट के प्रकाशन के खिलाफ की गई याचिका को खारिज कर दिया। यह रिपोर्ट मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की कार्य स्थिति पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन है। अभिनेत्री रंजिनी ने इस रिपोर्ट के प्रकाषन पर अपनी गोपनीयता की चिंता जताई थी। उनका कहना था कि उन्होंने रिपोर्ट हेतु अपनी बयान गोपनीयता की शर्त पर दी थी। उन्हें बिना सुने रिपोर्ट प्रकाशित करना उनकी गोपनीयता का उल्लंघन होगा।
रिपोर्ट का प्रकाशन उन पत्रकारों को किया गया जिन्होंने इसकी प्रतिलिपि मांगी थी। यह प्रकाशन उसी दिन हुआ जब केरल उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री रंजिनी की याचिका को सुनने से मना कर दिया था। उच्च न्यायालय का कहना था कि अभिनेत्री इस मामले में प्रतिवादी नहीं थी, इसलिए वे इसकी अपील नहीं कर सकतीं। अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें अपील के स्थान पर एक नयी याचिका दायर करनी चाहिए थी।
हेमाजी समिति को केरल सरकार ने 2017 में स्थापित किया था, जब महिला सिनेमा कलेक्टिव ने फिल्म उद्योग में महिलाओं के सामने आने वाले समस्याओं पर अध्ययन के लिए एक याचिका दायर की थी। समिति का नेतृत्व न्यायमूर्ति के. हेमा द्वारा किया गया था। इसमें कई अभिनेत्री और फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों के बयान शामिल थे।
2019 में प्रस्तुत की गई इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं की कार्य स्थिति और उनके सामने आने वाली समस्याओं का विस्तृत अध्ययन है। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक प्रकाशन के पीछे उद्देश्य था कि महिला सिनेमा कलेक्टिव की मांगों पर विचार हो और आवश्यक सुधार किए जाएं। अभिनेत्री रंजिनी ने इस रिपोर्ट के कुछ अंशों को निजी रखने की मांग की थी, जिसे राज्य सूचना आयोग ने गोपनीय रखा था।
अभिनेत्री रंजिनी की चिंताएं इस रिपोर्ट को लेकर थीं कि इससे उनकी गोपनीयता पर असर पड़ेगा। उनका कहना था कि उन्होंने अपनी बयान गोपनीयता की शर्त पर दिए थे और वे उम्मीद करती थीं कि रिपोर्ट के आगे प्रकाशित करने से पहले उन्हें सुना जाएगा। गोपनीयता की इस शर्त का उल्लंघन उन्हें अस्वीकार्य था।
रंजिनी के वकील ने अदालत को यह जानकारी दी थी कि रेडैक्टिंग के प्रक्रम के बाद उनका बयान प्रकाशित किया जाएगा। इस पर अदालत ने फिलहाल कोई स्थगन आदेश नहीं दिया, जिसके परिणामस्वरूप रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया।