चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन, अर्थात् चतुर्थी तिथि, Maa Chandraghanta को समर्पित है। यह देवी दुर्गा के तीसरे रूप के रूप में जानी जाती हैं, जिनका वेश सिंह पर सवार और हाथों में विभिन्न दिव्य शस्त्र होते हैं। दाएँ हाथ में वह कमण्डल, धनुष, बडा और कमल धारण करती हैं, जबकि बाएँ हाथ में अमृत कलश, जप माला, गदा और चक्र रखती हैं। यह प्रतीकात्मकता शक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति को दर्शाती है।
इस दिन की पूजा में मुख्य रूप से लाल फूल, लाल वस्त्र और लाल शरबत का प्रयोग किया जाता है क्योंकि लाल रंग उत्साह, प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक है। भोग में शुद्ध घी, काजू, अनार और मिठाईयों को शामिल किया जाता है, जिससे देवी को प्रसन्न किया जाता है। भक्ति भाव से मंत्र जाप करने से घर में समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथि 1‑2 अप्रैल तक फैली हुई है। तीसरे दिन के प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:
इन समयों में की गई पूजा का प्रभाव अधिक माना जाता है। रंग संबंधी दिक्के के तौर पर लाल रंग न केवल कपड़े में बल्कि दिये, जल और फलों में भी उपयोग किया जाता है। यह नवरात्रि के उत्सव को और भी जीवंत बनाता है।
विधि के अनुसार, पहले घर को साफ‑सुथरा करें, फिर एक साफ द्वार पर लाल कपड़े बिछाकर माता के लिए पंडाल स्थापित करें। मंत्रों में "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नम:" का उच्चारण किया जाता है, जिससे देवी के सर्वांग शक्ति के आशीर्वाद मिलते हैं।
पूजा समाप्त होने पर सभी उपस्थित लोग लाल वस्त्र धारण करके प्रसाद वितरण करते हैं। यह न केवल सामुदायिक बंधन को सुदृढ़ करता है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है।