के जे शिक्षा समाचार
अक्तूबर, 6 2025
बिहार में तेज़ बारिश, लाल चेतावनी; सीविं‑गोपालगंज में 320 मिमी रिकॉर्ड

जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बिहार में रविवार, 5 अक्टूबर 2025 तक लाल चेतावनी जारी की, तो इस बात का इशारा हो गया कि मौसम ने अपने ‘अतिरिक्त’ मोड को चालू कर दिया है। दक्षिण‑पश्चिमी मानसून अभी‑भी पूरी तरह हट नहीं पाया है, और एक लो‑प्रेशर सिस्टम के नज़दीक आने से उत्तर‑बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 210 मिमी से ऊपर की ‘अत्यधिक भारी’ बारिश हो रही है।

बाढ़ की तेज़ स्थिति और तत्काल असर

शुक्रवार‑शनिवार (4‑5 अक्टूबर) को सीविं, गोपालगंज, ईस्ट चंपारण, भोजपुर और रोहतास में 24‑घंटे की वार्षिक औसत से 300‑600 % अधिक जलवृष्टि दर्ज की गई। विशेष रूप से महाराजगंज (सीविं जिला) में एक ही दिन 320 मिमी पानी गिरा – यह अक्टूबर में कभी‑न देखी गई रिकॉर्ड बिंदु है। पड़ोसियों ने बताया कि जलस्तर अचानक दो‑तीन मीटर तक बढ़ गया, जिससे कई गांवों में घरों के बाथरूम‑ड्रेसिंग रूम नीचे जलमग्न हो गए।

प्रमुख जिलों में वर्षा का आँकड़ा

नीचे दिया गया तालिका इस सप्ताह के पाँच सबसे गीले जिलों के माप को दिखाता है:

  • सीविं – 210 मिमी से 320 मिमी (महाराजगंज 320 मिमी)
  • गोपालगंज – 210 मिमी से 260 मिमी
  • ईस्ट चंपारण – 210 मिमी से 250 मिमी (केसरीआह 250 मिमी)
  • भोजपुर – 210 मिमी से 290 मिमी (जगदीशपुर 290 मिमी)
  • रोहतास – 210 मिमी से 230 मिमी (पिरो 230 मिमी)

इन आँकड़ों में ‘अत्यधिक भारी’ (≥21 सेमी) शब्द का प्रयोग भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपने प्रेस विज्ञप्ति 4 अक्टूबर 2025, 14:00 IST में किया था।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया और सतर्कता

बिहार सरकार ने त्वरित कार्यवाही के तहत राज्य आपदा प्रबंधन कार्यालय को निर्देश दिया कि वे निचली-धारा वाले क्षेत्रों में तटस्थ‑स्थलों की पहचान कर रेस्क्यू टीमों को तैनात करें। जिला स्तर पर ‘फ्लैश‑फ्लड चेतावनी’ जारी की गई और कई पुलों एवं सड़कें बंद कर दी गईं।

इसी बीच, चुनाव आयोग ने बताया कि विधानसभा चुनावों की तिथियों को तय करने से पहले वे इस मौसम‑विचलन को ध्यान में रखेंगे। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त होगा, और चुनाव संभावित रूप से छठ पूजा के बाद निर्धारित किए जाएंगे।

आगामी मौसम – पश्चिमी व्यवधान की संभावना

आगामी मौसम – पश्चिमी व्यवधान की संभावना

अब तक के मॉडल बताते हैं कि 5‑7 अक्टूबर तक एक तीव्र पश्चिमी व्यवधान (Western Disturbance) उत्तर‑पश्चिम भारत में ‘भारी‑बारिश‑हड़्के‑तूफ़ान’ का कारक बनेगा। इसका शिखर 6 अक्टूबर पर अपेक्षित है, और इस दौरान उज्जीयर प्रदेश व उप‑हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भी अत्यधिक बारिश की आशंका है। स्थानीय अधिकारी पहले से ही उत्तर‑बंगाल में ‘फ़्लैश‑फ़्लड’ और पहाड़ी क्षेत्रों में ‘भूस्खलन’ के खतरे की चेतावनी दे चुके हैं।

पिछले वर्षों से तुलना – क्या यह एक नया पैटर्न है?

ऐतिहासिक तौर पर अक्टूबर माह बिहार के लिए ‘सूखा‑समय’ माना जाता है। 1998‑से 2023 तक औसत अक्टूबर‑बारिश 60‑80 मिमी रही है। इस साल का 210‑मिमी‑से‑ऊपर का डेटा अर्थात् 300‑600 % वृद्धि, जलवायु‑परिवर्तन के लक्षणों में से एक कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में कहा कि ‘वर्तमान माॅन्सून‑वैकल्पिक प्रणाली में बदलाव और ऊष्मा‑वृद्धि के कारण ऐसी असामान्य घटनाएँ बढ़ रही हैं’।

निष्कर्ष: सतर्क रहें, सुरक्षित रखें

निष्कर्ष: सतर्क रहें, सुरक्षित रखें

जो लोग ‘सुविधा‑विहीन’ क्षेत्रों में रहते हैं, उनके लिए यह समय ‘स्थानीय सरकार की ओर से मदद मांगने’ का है। यदि आप निचले भाग में हैं, तो जितनी जल्दी हो सके उच्चतम स्थानों पर शरण लें और राहत केंद्रों के निर्देशों को फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित कौन‑से गाँव हैं?

सीविं के महाराजगंज, भोजपुर के जगदीशपुर, और ईस्ट चंपारण के केसरीआह में पानी का स्तर दो‑तीन मीटर तक उठ गया था। स्थानीय प्रशासन ने इन क्षेत्रों के लिए निकासी‑शरणालय स्थापित कर फेंसे का प्रबंध किया है।

क्या आगामी चुनावों पर इन अत्यधिक बारिशों का असर पड़ेगा?

चुनाव आयोग ने कहा है कि वे मौसम‑परिस्थिति को ध्यान में रखकर तिथि‑निर्धारण करेंगे। अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, परन्तु बाढ़‑केन्द्रित क्षेत्रों में मतदान क्रम में बदलाव की संभावना है।

भविष्य में ऐसी अत्यधिक बारिशों को रोकने के लिये क्या उपाय किए जा सकते हैं?

विज्ञानियों का मानना है कि जलवायु‑परिवर्तन के कारण मौसमी पैटर्न बदल रहे हैं। इसलिए दीर्घ‑कालिक उपायों में हरित क्षेत्र बढ़ाना, जलधारण क्षमता को सुदृढ़ करना, और पर्याप्त चेतावनी‑प्रणाली स्थापित करना शामिल है।

क्या अन्य राज्यों में भी समान स्थिति अपेक्षित है?

उप‑हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और उत्तर‑उत्तरी उत्तर प्रदेश में भी अत्यधिक बारिश और बर्फ़ से हिमपात की संभावना दर्ज की गई है। विशेष रूप से 6 अक्टूबर को इन क्षेत्रों में ‘हड़के‑तूफ़ान’ की चेतावनी जारी की गई है।

आटा, दाल व अन्य आवश्यक वस्तुओं की मौसमी कमी का क्या अनुमान है?

ज्यादातर बाजारों में आपूर्ति पर अभी थोड़ा असर दिख रहा है, परन्तु राज्य शक्ति अपूर्णता को रोकने के लिये स्थानीय किसान मंडलों से आपूर्ति बढ़ाने का निर्देश दे रही है।

1 Comment

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    Vidit Gupta

    अक्तूबर 6, 2025 AT 20:33

    ऐसे तीव्र वर्षा, कई गाँवों के घरों को पानी में डुबो रहा है, नहीं तो बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। सभी को स्थानीय अधिकारियों की दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए, और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी चाहिए।

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