वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट 2024 में नई कर व्यवस्था में मानक कटौती की सीमा बढ़ाने की योजना बना रही हैं। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि यह कदम आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और करदाताओं को राहत देने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। इस संभावित बदलाव का उद्देश्य है कि अधिक लोग नई कर व्यवस्था को अपनाएं और इससे सरकारी राजस्व में वृद्धि हो। वर्तमान में मानक कटौती की सीमा ₹50,000 है, जिसे 2019 में बढ़ाकर ₹40,000 से ₹50,000 किया गया था। अब इसे ₹70,000 से ₹80,000 तक बढ़ाने की संभावना है।
नई मानक कटौती सीमा का सबसे बड़ा लाभ वेतनभोगी और पेंशनधारकों को होगा। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए, यह कदम उनके टैक्स के बोझ को कम करेगा और उनकी टेक-होम सैलरी में वृद्धि करेगा। इससे उनके पास खर्च करने की अधिक क्षमता होगी, जो अंततः आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा। पेंशनधारकों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण राहत साबित हो सकती है, जो अपने सीमित बजट में अतिरिक्त राहत पा सकेंगे।
वित्त वर्ष 2020 में पेश की गई नई कर व्यवस्था में निम्नतर कर दरें शामिल हैं, लेकिन यह पुरानी कर व्यवस्था के अनुदान और कटौतियों की सुविधा प्रदान नहीं करती। सरकार का इस कदम के पीछे उद्देश्य है कि नई कर व्यवस्था को करदाताओं के लिए अधिक आकर्षक बनाया जाए। जब ज्यादा लोग इसे अपनाएंगे, तो टैक्स कंप्लायंस बढ़ेगा और सरकार को अधिक राजस्व मिलेगा।
इस बदलाव का प्रभाव व्यवसायी और अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ने की संभावना है। जब कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी बढ़ेगी तो उनकी ख़रीद शक्ति बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव व्यवसायों की बिक्री और मुनाफे पर भी देखने को मिलेगा। इस प्रकार, यह कदम न केवल व्यक्तिगत करदाताओं के लिए हितकारी साबित होगा, बल्कि समग्र आर्थिक विकास में भी योगदान देगा।
हालांकि यह कदम करदाताओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन सरकार के लिए भी इसकी कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं। मानक कटौती की सीमा बढ़ाने से सरकार के राजस्व में कमी हो सकती है। इससे निपटने के लिए सरकार को अन्य स्रोतों से राजस्व जुटाने की आवश्यकता हो सकती है। इसके लिए सरकार विभिन्न नीतियों और उपायों पर विचार कर रही है।
वेतनभोगी और पेंशनभोगियों के बीच इस कदम को लेकर काफी उत्सुकता और सकारात्मक प्रतिक्रिया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल आर्थिक दृष्टि से सही है, बल्कि सामाजिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।
बजट 2024 के प्रस्तुत होने में अभी कुछ समय बाकी है, लेकिन इस संभावित बदलाव की चर्चाएं ज़ोरों पर हैं। यदि यह संभावित कदम बजट में शामिल होता है, तो यह भारतीय करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है।
आखिरकार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्या घोषणाएं करेंगी यह तो 1 फरवरी 2024 को ही स्पष्ट होगा, लेकिन कोई भी वित्तीय राहत आर्थिक विकास और व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। करदाता और विशेषज्ञ दोनों ही इस कदम के प्रति सकारात्मक नज़रिए के साथ इंतजार कर रहे हैं।